Haryana

नारनौल: संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा: टंकेश्वर कुमार

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति टंकेश्वर कुमार।

-हकेंवि में संस्कृत व्याकरण शास्त्र पर राष्ट्रीय ई-कार्यशाला आयोजित

नारनौल, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ की स्वामी दयानन्द सरस्वती पीठ के तत्वावधान में “संस्कृत व्याकरणशास्त्र में कारक प्रकरण” विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय ई-कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देशभर के 13 राज्यों से 350 से अधिक संस्कृत विद्वान, आचार्यगण, विद्यार्थी एवं शोधार्थी सहभागिता की।

कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंगलाचरण के साथ हुई, जिसके पश्चात् जम्मू विश्वविद्यालय की शोधार्थी सुश्री वीणा ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है। इसकी व्याकरण परम्परा तर्क, अनुशासन और विचार की उत्कृष्ट प्रतीक है। कारक प्रकरण जैसे विषय मानव जीवन में कर्तृत्व और उत्तरदायित्व के बोध को जागृत करते हैं। संस्कृत का अध्ययन वैश्विक सद्भाव का मार्ग प्रशस्त करता है।

मुख्य वक्ता डॉ. जयपाल शास्त्री, प्रख्यात व्याकरणाचार्य, ने अपने व्याख्यान में कारक सिद्धान्त की पाणिनीय व्याख्या, भाषिक व्यवहार और अर्थानुशासन के सन्दर्भ में गहन विवेचन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कारक न केवल वाक्य में पदों के संबंध को स्पष्ट करता है, बल्कि भाषा के दार्शनिक पक्ष को भी उद्घाटित करता है। इस कार्यशाला में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रभारी डॉ. राकेश ने तकनीकी समन्वयक की भूमिका का निर्वहन किया।

प्रो. वेदपाल डिंडोरिया , आचार्य संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली ने अपने उद्बोधन में बताया कि कारक प्रकरण की यह कार्यशाला छात्रों में वैदिक व लौकिक संस्कृत साहित्य के प्रति रुचि पैदा करते हुए साहित्य व व्याकरणशास्त्र के प्रति एक अच्छी समझ विकसित करेगी। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश से प्रो योगेन्द्र, गुजरात से डॉ. रामकृपाल , डॉ.कृष्णा , उतरप्रदेश से डॉ. सतेन्द्र, उत्तराखण्ड से डॉ.वेदव्रत, पंजाब से डॉ. राहुल, राजस्थान से प्रो. राजेश, डॉ सुमन, डॉ. विरेन्द्र, जम्मू से डॉ. वीना, बिहार से विश्वेश्वर आदि मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / श्याम सुंदर शुक्ला

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