Haryana

सोनीपत: निरंकारी संत समागम के लिए बसाई दिव्य नगरी

सोनीपत संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल स्थित मैदानों में निरंकारी समागम मुख्य द्वार तैयार करते  हुए
सोनीपत संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल स्थित मैदानों में निरंकारी समागम दिव्य नगरी की तैयारी का दृश्य

-78 वां वार्षिक निरंकारी संत समागम

31 अक्टूबर से 3 नवम्बर, 2025 तक

सोनीपत, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । निरंकारी मिशन की प्रमुख सतगुरु

माता सुदीक्षा के मार्गदर्शन में 31 अक्टूबर से होने वाले 78वें निरंकारी समागम की तैयारियां जोरो पर हैं। यह आयोजन हल्दाना बॉर्डर के विशाल मैदान में होगा। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है।

संत

निरंकारी मंडल के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने बताया कि यह समागम आत्ममंथन और ब्रह्मज्ञान

के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सशक्त मंच है। समागम स्थल को एक भव्य आध्यात्मिक

नगरी का रूप दिया गया है, जहां विशाल पंडालों में श्रद्धालुओं के लिए सुव्यवस्थित बैठने

की व्यवस्था की गई है। मंच पर होने वाले प्रेरणादायक प्रवचन और भावपूर्ण भजनों को दूरस्थ

स्थानों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक एल.ई.डी. स्क्रीन स्थापित की

गई हैं। परिसर को चार खंडों में विभाजित कर आवागमन और सुविधाओं का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित

किया गया है।

समागम

में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क बस सेवा, लंगर और रिहायशी टेंट

की व्यवस्था की गई है। सुखीजा ने बताया कि हजारों श्रद्धालु सेवा और समर्पण के साथ

तैयारियों में जुटे हैं। लंगर में शुद्ध और सात्विक भोजन की व्यवस्था होगी, जो सभी

के लिए निःशुल्क उपलब्ध रहेगा। रिहायशी टेंट श्रद्धालुओं को आरामदायक आवास प्रदान करेंगे।

समागम में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन होगा, जिसमें निरंकारी मिशन के गौरवशाली इतिहास,

इसके मूल्यों और मानवता के प्रति योगदान को दर्शाया जाएगा। यह प्रदर्शनी श्रद्धालुओं

को मिशन की शिक्षाओं और सतगुरु के मार्गदर्शन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करेगी।

मुंबई

के श्रद्धालुओं द्वारा निर्मित मुख्य स्वागत द्वार समागम की आध्यात्मिक भव्यता का प्रतीक

है। यह द्वार सौंदर्य, समर्पण और सृजनशीलता का अनूठा संगम है, जो मानवता को प्रेम और

समभाव के साथ आमंत्रित करता है। समागम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और भक्ति भजनों

का आयोजन भी होगा, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर करेगा।

सुखीजा

ने कहा कि यह समागम आत्मचिंतन, आत्मबोध और आंतरिक शुद्धि का अनुपम अवसर है। सतगुरु

माता जी के दिव्य दर्शन और अमृतमय प्रवचन श्रद्धालुओं को मानवता, विश्वबंधुत्व और सौहार्द

की भावना से जोड़ेंगे। यह आयोजन सतगुरु की कृपा से प्रत्येक श्रद्धालु को आध्यात्मिक

परिपूर्णता का अनुभव कराएगा। यह संत समागम हर उस व्यक्ति के लिए एक पावन निमंत्रण है,

जो आत्मिक शांति और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहता है।

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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना

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