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आमजन की समस्याओं से दूर होते जेडीए अधिकारी !

जेडीए

जयपुर, 3 नवंबर (Udaipur Kiran) । शहर के विकास का जिम्मा उठा रहे जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी आमजन की समस्याओं और काम को लेकर लापरवाही बरतते दिख रहे हैं। शिकायतों के साथ काम करने की तय डेडलाइन और ऑनलाइन होने के बाद भी जेडीए अधिकारी समस्याओं और काम का निपटारा नहीं कर रहे है। ऑनलाइन शिकायतों पर सरकार लगातार मॉनिटरिंग कर रही है, लेकिन जेडीए अधिकारियों में सरकार का शायद ही कोई खौफ हो। पिछले दिनों सरकार के निर्देश पर जेडीए में शहरी सेवा शिविर आयोजित किए गए ताकि आमजन की समस्याओं का निस्तारण किया जा सके, लेकिन अधिकारियों की कथित हठधर्मिता के चलते आमजन के काम नहीं हो पाए और शिविरों में भी निस्तारण नहीं होने के कारण सरकार को फालोअप शिविर लगाने पड़ रहे है।

ऑनलाइन पोर्टल और अन्य स्थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले छह माह में जेडीए में सबसे ज्यादा लम्बित काम, शिकायतें सहित अन्य मामले जोन उपायुक्तों के है। इसके बाद प्रवर्तन शाखा का नम्बर आता है। सबसे कम प्रकरण इंजीनियरिंग शाखा के है। जोन उपायुक्तों की लापरवाही के चलते शहरवासियों को जाम से जूझना पड़ रहा है। जेडीसी ने शहर में बड़ी संख्या में सेक्टर रोड बनाने का बीड़ा उठा रखा है, ताकि आमजन को जाम और लम्बे चक्कर से बचाया जा सके, लेकिन जोन उपायुक्तों की कथित लापरवाही के चलते सेक्टर सड़कों के विवादों का निपटारा या जमीन अधिग्रहण का काम धीमी गति से हो रहा है।

छह माह में पट्टे सहित अन्य मामलों के 45 प्रकरण लम्बित

पिछले छह माह की बात करें तो जोन उपायुक्तों के पास पट्टा, नाम ट्रांसफर, अतिक्रमण सहित अन्य के 45 प्रकरण लम्बित है। इन मामलों की शिकायतें सीएम पोर्टल सहित अन्य जगहों पर की जा चुकी है। हर रिव्यू बैठक में जेडीसी इन मामलों को निपटाने को लेकर जोन उपायुक्तों को निर्देश जारी करती है, लेकिन फिर भी इनका निस्तारण नहीं किया जा सका है। इससे आमजन में काफी आक्रोश है।

90 ए के 47 प्रकरण लम्बित

पट्टों के अलावा जेडीए में तैनात जोन उपायुक्तों ने भू उपयोग परिवर्तन के मामले भी बड़ी संख्या में लम्बित है। 6 माह के दौरान आए प्रकरणों में से 47 प्रकरणों का निस्तारण नहीं हो पाया है।

अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शहर में बाढ़

जयपुर शहर में सबसे ज्यादा परेशानी आमजन को अवैध निर्माण और अतिक्रमण से हो रही है। इन मामलों को लेकर रोजाना जेडीए में करीब आधा दर्जन शिकायतें आ रही है, लेकिन तय समय पर इनका निस्तारण नहीं किया जा रहा है। कई मामलों में तो यह भी देखने में आया है कि प्रवर्तन शाखा द्वारा आधी अधूरी कार्रवाई कर अतिक्रमणकर्ता को लाभ पहुंचाया जा रहा है। जोन-10 और 13 में अवैध कॉलोनियों की बाढ़ सी आ गई है। सांभरिया रोड पर हाल ही करीब एक दर्जन नई अवैध कॉलोनियां काटी जा चुकी है, लेकिन शिकायतों के बाद भी जेडीए का प्रवर्तन दस्ता उन पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है। पिछले 6 माह की बात करें तो प्रवर्तन शाखा को मिली शिकायतों में से 31 पर कार्रवाई नहीं हुई है।

इंजीनियरिंग शाखा में 6 माह में 8 प्रकरण

ऑनलाइन पोर्टल और अन्य स्थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लम्बित इंजीनियरिंग शाखा में पिछले 6 माह में आई शिकायतों में से 8 प्रकरण फिलहाल लम्बित है। इंजीनियरिंग शाखा में सबसे ज्यादा शिकायतें घटिया निर्माण की आती है। इन शिकायतों को लेकर जेडीए प्रशासन द्वारा किसी अधिकारी पर कोई गम्भीर कार्रवाई नहीं की गई है। हाल ही में एक ठेकेदार ने बिजली शाखा के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर शिकायत दी है।

पांच लाख से ज्यादा फाइलें नहीं हो पाई ऑनलाइन

भ्रष्टाचार कम करने के लिए सरकार सभी कामों के साथ फाइलों को ऑनलाइन करने पर जोर दे रही है। लम्बे समय से यह मुहिम चल रही है। जेडीए में अभी भी 5 लाख 39 हजार 68 फाइलों को स्कैन कर ऑनलाइन नहीं किया जा सका है। इसके लिए जेडीए अधिकारी संसाधनों की कमी का बहाना बना रहे है। जेडीए में वर्तमान में कुल 18 जोन बने हुए है। सबसे ज्यादा फाइले जोन-14 में बाकी है। यहां पर 91 हजार से अधिक फाइलों को स्कैन कर अपलोड किया जाना बाकी है। इसके अलावा जोन-10 में 89 हजार से अधिक फाइलों को स्कैन किया जाना शेष है।

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(Udaipur Kiran) / राजेश