श्रीनगर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आरक्षण नीति पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने बुधवार को विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद एक 13-सदस्यीय पैनल का गठन किया ताकि बातचीत की प्रक्रिया में व्यापक प्रतिनिधित्व और समावेशी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। यह पैनल आरक्षण नीति से संबंधित मामलों पर जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार, दोनों के साथ बातचीत करेगा।
यह पैनल सरकारी अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ औपचारिक चर्चा करेगा ताकि आरक्षण नीति और जम्मू-कश्मीर के छात्रों और नौकरी के इच्छुक लोगों को प्रभावित करने वाली भर्ती संबंधी समस्याओं से संबंधित चिंताओं का समाधान किया जा सके और सुझाव साझा किए जा सकें।
13 सदस्यीय पैनल में नासिर खुएहामी, उमर जमाल, पीरज़ादा महबूब उल हक, डॉ. जुबैर रेशी, डॉ. नाज़िया इसरार, फैज़ान पीर, मीर मुजीब, डॉ. साकिब, इंजी. एहतशाम, उमर कील, मुहुइब मखदूमी, उमर मसूदी और मुबाशिर अहमद शामिल हैं। डॉ. जुबैर रेशी पैनल के अध्यक्ष होंगे जबकि उमर जमाल मुख्य प्रवक्ता और फैज़ान पीर समन्वयक होंगे।
एसोसिएशन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस समावेशी पैनल का गठन विविध शैक्षणिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के युवा प्रतिनिधियों की इस मुद्दे के समाधान में रचनात्मक, पारदर्शी और परामर्शात्मक दृष्टिकोण अपनाने की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस अवसर पर बोलते हुए एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुएहामी ने कहा कि हमारा उद्देश्य सरकार के साथ मिलकर काम करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी समुदायों और छात्र समूहों की चिंताओं का निष्पक्ष और संतुलित तरीके से समाधान किया जाए।
समिति को उप-समिति की रिपोर्ट की विस्तार से समीक्षा करने, सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत करने और जम्मू-कश्मीर के छात्रों की आकांक्षाओं और अधिकारों के अनुरूप कार्रवाई योग्य सिफारिशें प्रस्तावित करने का दायित्व सौंपा गया है। समिति ने आगे कहा कि युवाओं को खुली और रचनात्मक चर्चाओं में शामिल होने के लिए सशक्त बनाने से लोकतंत्र मजबूत होता है और प्रशासन व युवा पीढ़ी के बीच विश्वास बढ़ता है।
13 सदस्यीय समिति तुरंत अपना काम शुरू करेगी और सरकार व अन्य हितधारकों के साथ परामर्श के बाद निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी प्रतिक्रिया और सिफारिशें प्रस्तुत करने की उम्मीद है। खुएहामी ने आगे कहा कि एसोसिएशन सार्थक सहभागिता के पक्ष में है और उनका मानना है कि गलतफहमियों को दूर करने और एक न्यायसंगत समाधान तक पहुँचने के लिए बातचीत सबसे प्रभावी तरीका है।
एसोसिएशन जल्द ही औपचारिक रूप से अपने सुझाव और प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए सरकार से मिलने का समय मांगेगा। उम्मीद है कि यह कदम अधिक स्पष्टता, समावेशिता और सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने वाले नीतिगत ढाँचे का मार्ग प्रशस्त करेगा।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता