
वाराणसी, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में दीपावली पर्व के बाद धार्मिक परंपराओं के तहत गंगा नदी में निर्माल्य (देवता को चढ़ाई गई सामग्री) विसर्जन की प्रवृत्ति को रोकने और गंगा संरक्षण के उद्देश्य से नमामि गंगे अभियान के तहत बुधवार को पहल की गईं।
दशाश्वमेध घाट पर जागरूकता कार्यक्रम और सफाई अभियान चलाया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने किया। इस दौरान श्रद्धालुओं से अपील की गई कि दीपावली के बाद बची हुई पूजा सामग्री, फूल, माला, मूर्तियां आदि गंगा में प्रवाहित न करें, क्योंकि इससे नदी का प्रदूषण बढ़ता है और जलजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
राजेश शुक्ला ने कहा कि दीपावली पर प्रायः हर घर में श्री गणेश और मां लक्ष्मी की नई मूर्तियों की स्थापना होती है, लेकिन पूजा के बाद पुरानी मूर्तियों का उचित विसर्जन न होने के कारण वे गंगा में फेंक दी जाती हैं या सड़कों किनारे, पेड़ों के नीचे छोड़ दी जाती हैं।
उन्होंने इसका समाधान सुझाते हुए कहा कि लोग एक टब में थोड़ा गंगाजल डालकर मूर्ति को उसमें विसर्जित करें। एक-दो दिन में मूर्ति स्वयं ही घुल जाएगी। बाद में इस जल को किसी गमले या पेड़ की जड़ में डाला जा सकता है। इससे मूर्ति का सम्मानजनक विसर्जन भी होगा और गंगा भी स्वच्छ रहेगी। अभियान के तहत दशाश्वमेध घाट पर फैले हुए धार्मिक कचरे की सफाई भी की गई। बड़ी मात्रा में फूल, माला, मिट्टी की मूर्तियां और अन्य पूजा सामग्री घाट से हटाई गई। इस जन-जागरूकता अभियान में आयुष श्रीवास्तव, विजय अवस्थी, सुमित शुक्ला, गगन शुक्ला, आशीष रावत, प्रियांशु शुक्ला सहित कई स्वयंसेवकों ने भाग लिया और लोगों को इको-फ्रेंडली विसर्जन के प्रति जागरूक किया।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी