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दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विंटर एक्शन प्लान किया लागू

दिल्ली के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा  (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली सरकार ने 2025–26 के लिए विंटर एक्शन प्लान को लागू कर दिया है। यह योजना अक्टूबर से फरवरी के बीच होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है। इसमें 7 प्रमुख थीम और 25 एक्शन पॉइंट शामिल हैं-सड़क धूल और निर्माण प्रबंधन, वाहन उत्सर्जन, उद्योग व ऊर्जा क्षेत्र, कचरा एवं खुले में आगजनी, नागरिक भागीदारी एवं निगरानी, और ग्रीन इनोवेशन। यह कार्रवाई दिल्ली की 30 से अधिक एजेंसियों के समन्वय से की जाएगी।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि सभी कदम तय समयसीमा में पूरे हों और ग्रीन वॉर रूम से उनकी रियल टाइम मॉनिटरिंग हो।

उन्होंने कहा कि इस सर्दी प्रदूषण नियंत्रण के नियमों के अनुपालन पर कोई समझौता नहीं होगा- चाहे धूल नियंत्रण हो, निर्माण स्थल के नियम हों, पीएनजी पर उद्योगों का संचालन या सख्त प्रवर्तन। हर विभाग को गति और फोकस के साथ काम करना होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सभी विभाग (पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, एनडीएमसी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी और दिल्ली पुलिस) को निर्देश दिए गए हैं कि वे रोज़ाना समन्वय बनाकर काम करें।

मंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोग भी इस मुहिम में हमारे साथी हैं- ग्रीन दिल्ली ऐप का इस्तेमाल करें, ग्रेप सलाह का पालन करें और जहां संभव हो, सार्वजनिक परिवहन या ईवी अपनाएं।

सड़क धूल और निर्माण प्रबंधन : 86 मैकेनिकल रोड स्वीपर, 300 स्प्रिंकलर और 362 एंटी-स्मॉग गन पहले से ही तैनात हैं। 70 और नए स्वीपर व उपकरण जोड़े जा रहे हैं। सभी बड़ी सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग होगी; रूट जीपीएस से ट्रैक किए जाएंगे। 500 वर्गमीटर से बड़े हर निर्माण प्रोजेक्ट के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। 3,000 वर्गमीटर से बड़े प्रोजेक्ट और जी+5 से अधिक इमारतों के लिए एंटी-स्मॉग गन लगाना ज़रूरी। 698 किलोमीटर सड़क किनारे पेविंग और 85 किलोमीटर मिड-वर्ज ग्रीनिंग का लक्ष्य तय।

वाहन उत्सर्जन नियंत्रण : 578 प्रवर्तन टीमें सड़कों पर धुआं, पीयूसी और इंजन चालू रखे जाने के उल्लंघन पर निगरानी कर रही हैं। 953 पीयूसी केंद्र अब ट्रांसपोर्ट विभाग के डैशबोर्ड से लाइव जुड़े हैं।

* गंभीर प्रदूषण स्तर (ग्रेप III/IV) पर पार्किंग शुल्क दोगुना होगा ताकि निजी वाहनों का प्रयोग घटे। डीएमआरसी की ई-ऑटो फ्लीट बढ़कर 2,299 होगी; नए पंजीकरणों में ईवी का हिस्सा 12% से ऊपर रहेगा। प्रदूषित ट्रकों की एंट्री पर सुप्रीम कोर्ट और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र : दिल्ली के सभी उद्योग अब पीएनजी पर चल रहे हैं; डीएसआईआईडीसी और डीपीसीसी की संयुक्त टीम अनधिकृत ईंधन पर सख्ती करेगी। केवल ड्युअल-फ्यूल या उत्सर्जन-अनुपालक डीजी सेट ही चलाने की अनुमति है; आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है। पुनर्विकास क्षेत्रों की इकाइयों के लिए फिर से “कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम” लागू किया गया है।

कचरा प्रबंधन और खुले में जलाना : 443 टीमें 24×7 गश्त पर हैं ताकि कचरा या बायोमास जलाने की घटनाओं को रोका जा सके। 2025 में किसी भी लैंडफिल में आग नहीं लगी — स्थायी वॉच टावर और हाइड्रेंट लगाए गए हैं। अब तक 136.27 लाख टन पुराने कचरे की बायोमाइनिंग हो चुकी है। ओखला (जुलाई 2026), भलस्वा (दिसंबर 2026) और ग़ाज़ीपुर (दिसंबर 2027) की समयसीमा तय। 7,834 टीपीडी की मौजूदा Waste-to-Energy क्षमता में 7,000 टीपीडी और जुड़ने जा रहे हैं। 300 टीपीडी बायोगैस प्लांट चालू; 1,050 टीपीडी अतिरिक्त क्षमता जल्द ओखला, गोयला आदि में।

खेती अवशेष और स्थानीय जलाना : दिल्ली क्षेत्र के खेतों में 100 फीसद पूसा पूसा डीकंपोजर का छिड़काव पूरा किया जा रहा है ताकि पराली जलाने की ज़रूरत न पड़े। 11 दिन में और 5 रात मोबाइल पेट्रोल टीमें रियल टाइम रिपोर्टिंग कर रही हैं। 1,407 आरडब्ल्यूए को दो-दो हीटर दिए गए हैं ताकि सुरक्षा गार्ड आग न जलाएं।

दीवाली 2025 के लिए पटाखे नियंत्रण : सुप्रीम कोर्ट के आदेश (15 अक्तूबर 2025) के अनुसार दिल्ली में केवल एनईईआरआई-प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे व चलाए जा सकेंगे — 18 और 19 अक्तूबर को, सुबह 6–7 बजे और रात 8–10 बजे के बीच, तय लाइसेंस प्राप्त स्थलों पर। केवल क्यूआर कोड वाले ग्रीन पटाखे मान्य होंगे; अवैध स्टॉक जब्त होगा और उल्लंघनकर्ताओं पर कार्रवाई होगी। प्रवर्तन दिल्ली पुलिस, राजस्व विभाग और डीपीसीसी द्वारा पर्यावरण विभाग की निगरानी में होगा।

निगरानी, नागरिक सहभागिता और नवाचार : ग्रीन दिल्ली ऐप के माध्यम से अब तक 96,000 से अधिक शिकायतें निपटाई गई हैं; प्रतिक्रिया समय और घटाया जा रहा है। मार्च 2026 तक 6 नए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन शुरू होंगे। आईआईटी कानपुर और आईएमडी के साथ क्लाउड सीडिंग का पायलट प्रोजेक्ट प्रस्तावित है ताकि आपात स्थिति में प्रदूषण घटाने के वैज्ञानिक विकल्प जांचे जा सकें।

मंत्री सिरसा ने कहा कि दिल्ली अब तैयारी की नीति पर काम कर रही है। हर कार्रवाई डेटा से ट्रैक होगी, हर एजेंसी जवाबदेह होगी और हर नागरिक को महसूस होगा बदलाव।

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

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