नैनीताल, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में हुई रैगिंग मामले में दायर जनहित याचिका पर शपथपत्र दाखिल नहीं करने पर यूजीसी के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन और
जिलाधिकारी नैनीताल सहित पांच लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इन लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही
करने के लिए रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं।
दरअसल, पूर्व सुनवाई में कोर्ट ने प्रतिवादियों को अनुपालन हलफनामा दाखिल न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था कि उन पर अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। इसके बाद भी 13 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय ने देखा कि उक्त अधिकारियों ने न तो कोई अनुपालन शपथपत्र दाखिल किया गया और न ही कोई बयान पेश किया। गुरुवार काे मुख्य न्यायालय जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने
इन लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने के लिए रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अक्टूबर 2025 की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में हुई रैगिंग के बाद वर्ष 2023 में सचिदानन्द डबराल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका सुनवाई के बाद कोर्ट ने तब रैगिंग को रोके जाने के लिए राज्य सरकार व केंद्र सरकार सहित यूजीसी, नेशनल मेडिकल कमीशन, जिलाधिकारी नैनीताल को कई निर्देश जारी कर अनुपालन सम्बन्धी रिपोर्ट शपथपत्र के साथ पेश करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में 22 सितंबर 2025 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त लाेगाें के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का नोटिस दिया था। जिसका इन प्रतिवादियों की तरफ से कोई जबाव नहीं दिया गया।
(Udaipur Kiran) / लता
