
बिलासपुर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 40 साल पुराने रास्ते को बंद कर, दीवार पर गुजरने वालों को खूब खातिरदारी की जाएगी लिखने का मामला प्रकाशित किए जाने को संज्ञान में लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डिवीजन बैंच में इस मामले को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई में मीडिया में प्रकाशित खबर पर संज्ञान में लिया। जिसमें उपरोक्त कहा गया है कि कुछ लोगों ने दयालबंद पुल के नीचे रहने वाले 15 परिवारों का रास्ता 40 वर्षों से अवरुद्ध कर रखा है। इससे उन्हें परेशानी हो रही है। इस पूरे मामले में जिला मजिस्ट्रेट बिलासपुर से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब पेश करने कहा गया है।
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि स्थिति इतनी विकट है कि बच्चों को कंधों पर उठाकर पुल के नीचे से नदी पार करके स्कूल और वापस लाना पड़ता है। इसके अलावा, बाइक और अन्य वाहनों को मुख्य सड़क या दुकानों पर पार्क करना पड़ता है क्योंकि नदी के कारण गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है। बीमारी या आपात स्थिति में स्थिति और भी खराब हो जाती है। कलेक्टर से मामले की शिकायत करने के बाद जगह का सीमांकन किया गया, जिसमें फुटपाथ दिखाया गया। इसके बाद भी, एक लोहे का गेट लगा दिया गया और एक चारदीवारी खड़ी कर दी गई, जिस पर दीवार पर एक नोट लगा है कि उस रास्ते से गुजरने वालों के साथ उचित व्यवहार किया जाएगा, यानी उक्त फुटपाथ को अवरुद्ध करने वाले व्यक्ति द्वारा धमकी दी गई है।
मजबूरीबस 15 परिवारों के 40 से अधिक सदस्य लिंगियाडीह जाने वाले रास्ते पर दयालबंद पुल के नीचे वर्षों से अपनी जमीन पर रह रहे हैं और उनके आने-जाने के लिए एक फुटपाथ भी है, जिसे पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया गया है। पूरी जमीन खसरा संख्या 175/1 से 175/9 के अंतर्गत आती है और कई लोगों के पास जमीन के दस्तावेज भी हैं। निवासियों ने बताया कि रास्ता अवरुद्ध करने वाले लोग जमीन खरीदना चाहते थे और जब वे इसमें सफल नहीं हुए, तो वे दबाव बनाने का तरीका अपना रहे हैं और उन्हें परेशान किया जा रहा है। इन निवासियों की शिकायत के बाद, राजस्व विभाग की एक टीम ने निरीक्षण किया और एक पंचनामा तैयार किया, जिसमें पाया गया कि सभी निवासी वर्षों से उक्त पगडंडी से आवागमन करते आ रहे हैं। निरीक्षण में यह भी पता चला कि राजस्व अभिलेखों में भी उक्त पगडंडी दयालबंद रोड तक जाती है। जिस दीवार पर उपरोक्त संदेश लिखा गया है, वहाँ एक गेट बंद है और एक महिला उक्त रास्ते से जाने के लिए उक्त बंद गेट पर चढ़ रही है। दीवार पर लिखा संदेश वस्तुतः राज्य के प्राधिकार को एक सीधी चुनौती है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है।
हाइकोर्ट ने आदेश जारी कर जिला मजिस्ट्रेट, बिलासपुर को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई से पहले इस मामले में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें कि जिला प्रशासन ने उस व्यक्ति के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं जिसने दीवार खड़ी कर दी है और फुटपाथ को अवरुद्ध कर दिया है, जिसका उपयोग पिछले 40 वर्षों से किया जा रहा था, जैसा कि बताया गया है और दीवार पर उपरोक्त संदेश लिखा गया है। इस मामले को 28 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के लिए तय किया है। वहीं रजिस्ट्रार (न्यायिक) और राज्य अधिवक्ता को निर्देश दिया है कि वे इस आदेश को आवश्यक सूचना और अनुपालन हेतु तत्काल जिला मजिस्ट्रेट, बिलासपुर को प्रेषित करें।।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi
