श्रीनगर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने गुरुवार को कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अपने प्रदर्शन का पूरा रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रदर्शन का बचाव करते हुए चौधरी ने कहा कि पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पूरा मंत्रिमंडल मीडिया के साथ बैठेगा। हम एक हाथ में अपना घोषणापत्र और दूसरे हाथ में अपनी उपलब्धियाँ दिखाएँगे। भाजपा, पीडीपी और उपराज्यपाल प्रशासन ने जो भी अधूरा छोड़ा है उसे हम पूरा करेंगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी जनता से सीधे रूबरू होकर एक मिसाल कायम करेगी। चौधरी ने कहा कि हमें सवालों से डर नहीं लगता। लोगों को यह जानने का हक है कि क्या किया गया है लेकिन उन्हें उन लोगों से भी पूछना चाहिए जिन्होंने हमसे पहले ग्यारह साल तक शासन किया और उन्होंने क्या हासिल किया।
पूर्व भाजपा-पीडीपी गठबंधन और वर्तमान उपराज्यपाल प्रशासन की आलोचना करते हुए चौधरी ने उन पर सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी और विकास परियोजनाओं को अधूरा छोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हैदरपुरा में 2016 में 5 करोड़ की लागत से शुरू हुआ एक सामुदायिक भवन अभी भी अधूरा है। 2018 में 2 करोड़ की लागत से शुरू हुआ नतीपुरा हाउसिंग कम्युनिटी हॉल भी अधूरा है। गांदरबल के गहामा में एक पुल बीच में ही लटक रहा है। बेमिना अस्पताल और कुपवाड़ा की इमारतों को देखिए, हर जगह आपको देरी और जर्जरता ही दिखाई देगी।
चौधरी ने राजभवन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए पूछा कि मैं उपराज्यपाल साहब से पूछना चाहता हूँ कि प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत पिछले छह सालों में क्या हासिल हुआ है। 2019 से पहले शुरू की गई परियोजनाएँ अभी तक लंबित क्यों हैं। जनता के पैसे की बर्बादी के लिए कौन जवाबदेह है।
उन्होंने भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा पर विपक्षी नेता की बजाय राजभवन के प्रवक्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब भी भाजपा-पीडीपी की नाकामियों को उजागर किया जाता है, सुनील शर्मा दोनों का बचाव करते हैं। इससे पता चलता है कि वह गठबंधन और प्रशासन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भाजपा और पीडीपी के बीच गुप्त समझौते का आरोप लगाते हुए चौधरी ने कहा कि एक दिन सुनील शर्मा बयान देते हैं, अगले दिन महबूबा मुफ़्ती बोलती हैं, फिर सज्जाद लोन भी शामिल हो जाते हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने मिलकर जम्मू-कश्मीर का दर्जा खत्म करने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने का काम किया था।
उन्होंने उपराज्यपाल प्रशासन से बेरोज़गारी और पारदर्शिता पर भी जवाब मांगा। उन्होंने पूछा कि दिहाड़ी मज़दूर, रहबर-ए-खेल, रहबर-ए-ज़ीरात और दमकलकर्मियों को नियमित क्यों नहीं किया गया। सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले की रिपोर्ट का क्या हुआ। कोई जाँच सार्वजनिक क्यों नहीं की गई।
पत्रकारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए सुरिंद्र चौधरी ने उत्पीड़न के बावजूद डटे रहने के लिए मीडिया की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हमारे पत्रकारों ने तब भी सच्चाई के लिए लड़ाई लड़ी है जब उनकी कलम को दबाने की कोशिश की गई। वे जम्मू-कश्मीर की असली आवाज़ हैं।
जम्मू-कश्मीर की पहचान की रक्षा के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख की पुष्टि करते हुए चौधरी ने कहा कि जब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के पास पाकिस्तान जाने का विकल्प था तो उन्होंने भारत को चुना। अब्दुल्ला परिवार ने कश्मीर को भारत के करीब लाया और हमें उस फैसले पर गर्व है।
उन्होंने प्रशासन और राजनीतिक विरोधियों को चुनौती देते हुए कहा कि मुझसे पाँच साल बाद पूछिएगा तो मैं हर सवाल का जवाब दूँगा। लेकिन आज उपराज्यपाल और राजभवन से पूछिए कि उन्होंने पिछले ग्यारह सालों में क्या किया। इतने सारे वादे अभी भी अधूरे क्यों हैं।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
