केन सुपरवाइजर भर्ती विवाद में उच्चतम न्यायालय का बड़ा फैसला
नियोक्ता विभाग ही तय कर सकता है शैक्षणिक योग्यता: खंडपीठ
नैनीताल, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केन सुपरवाइजर भर्ती विवाद में आज बड़ा निर्णय सुनाते हुए कहा है कि तीन वर्षीय कृषि इंजीनियरिंग डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थी भी पात्र माने जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करने का अधिकार भर्ती एजेंसी नहीं बल्कि नियोक्ता विभाग का होता है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने मनाली चौधरी व अन्य बनाम राज्य सरकार की स्पेशल अपील पर फैसला सुनाते हुए एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया कि वह अपीलकर्ताओं का परिणाम तुरंत घोषित करें।
मामले के अनुसार 2022 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने गन्ना पर्यवेक्षक के 78 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। बाद में विज्ञापन निरस्त कर पुनः 2023 में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इसमें योग्यता के रूप में दो वर्षीय कृषि डिप्लोमा निर्धारित की गई। तीन वर्षीय कृषि इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक अभ्यर्थियों ने भी परीक्षा दी और चयन सूची में उनका नाम भी आया, लेकिन दस्तावेज सत्यापन के समय उन्हें अयोग्य ठहरा दिया गया। भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोग ने शासन से यह स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या तीन वर्षीय कृषि इंजीनियरिंग डिप्लोमा को मान्य माना जा सकता है। इस पर गन्ना एवं चीनी आयुक्त कार्यालय ने 25 नवंबर 2023 को स्पष्ट किया कि दो वर्षीय या तीन वर्षीय कृषि डिप्लोमा, दोनों ही वैध हैं। इसके बाद 14 दिसंबर 2023 को शासन सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग ने भी आयोग को निर्देश भेजा कि तीन वर्षीय डिप्लोमा को मान्य मानते हुए चयन प्रक्रिया चलाई जाए। इसके बावजूद आयोग ने विज्ञापन में संशोधन नहीं किया और तीन वर्षीय डिप्लोमा धारकों को बाहर कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि आयोग का यह रवैया मनमाना और विधि-विरुद्ध है और नियोक्ता की ओर से तय शैक्षणिक योग्यता को भर्ती एजेंसी नहीं बदल सकती। कोर्ट ने एकल पीठ का 1 सितंबर 2025 का आदेश निरस्त करते हुए कहा कि तीन वर्षीय कृषि इंजीनियरिंग डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों को पात्र माना जाएगा। आयोग उनके परिणामों की घोषणा तुरंत करे।
(Udaipur Kiran) / लता
