Jammu & Kashmir

राणा ने जनजातीय सशक्तिकरण को गति देने के लिए बहुआयामी रणनीति का आह्वान किया

Rana calls for multi-pronged strategy to accelerate tribal empowerment

श्रीनगर, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जनजातीय मामलों के मंत्री जावेद अहमद राणा ने जम्मू-कश्मीर में जनजातीय सशक्तिकरण की गति को तेज करने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री वन धन योजना के कार्यान्वयन पर एक विस्तृत समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्री ने समावेशी योजना, अंतर-विभागीय समन्वय और जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के महत्व पर जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी योजनाओं का लाभ जनजातीय समुदायों, विशेष रूप से दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुँचे।

बैठक में जैनपोरा के विधायक शौकत हुसैन गनीय जनजातीय मामलों की निदेशक मुमताज चैधरी, जम्मू-कश्मीर ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक डॉ. शुभ्रा शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बातचीत के दौरान, मंत्री ने विभिन्न जिलों में प्रधानमंत्री वन धन योजना की प्रगति की समीक्षा की और जनजातीय आजीविका तथा सामाजिक-आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव की जाँच की। आरंभ में, राणा ने केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित वन धन विकास केंद्रों की स्थिति, उनकी परिचालन प्रभावशीलता और आय सृजन एवं रोजगार सृजन के संदर्भ में प्राप्त ठोस परिणामों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री वन धन योजना (पीएमवीडीवाई) में लघु वनोपज (एमएफपी) के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देकर क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है, जिससे आदिवासी उद्यमियों को सशक्त बनाया जा सके और स्थायी आजीविका के अवसरों तक उनकी पहुँच बढ़े। मंत्री ने इस योजना के तहत किए जा रहे प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रयासों, विशेष रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों में आदिवासी कारीगरों और लघु उद्यमियों को लक्षित करने वाले प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी।

राणा ने अधिकारियों से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर आदिवासी उत्पादों के लिए बाजार संपर्क बढ़ाने के प्रयासों को तेज करने का आग्रह किया। उन्होंने विभागों से मौजूदा कार्यान्वयन कमियों की पहचान करने, अंतर-एजेंसी सहयोग को मजबूत करने और उन क्षेत्रों में नए प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा जहाँ हस्तक्षेप की सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री वन धन योजना की सफलता आत्मनिर्भर, कुशल और सशक्त आदिवासी समुदायों के निर्माण में निहित है जो जम्मू-कश्मीर की आर्थिक प्रगति में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम हों। उन्होंने जनजातीय आबादी को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में शामिल करने और साथ ही उनकी समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की। मंत्री ने सभी हितधारकों से जम्मू और कश्मीर में समावेशी, समतामूलक और सशक्त जनजातीय समाज के साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए तालमेल से काम करने का आग्रह किया।

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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया

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