Delhi

एमसीडी सदन में काली पट्टी बांधकर आआपा नेताओं ने किया प्रदर्शन

एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग के साथ आआपा पार्षद प्रदर्शन करते हुए।

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पिछले 16 दिनों से समान वेतन, मेडिकल लीव और मृतक कर्मियों के परिवारों को नौकरी जैसी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एमसीडी के 5,200 मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) और कॉन्ट्रैक्ट फील्ड वर्कर्स (सीएफडब्ल्यू) कर्मचारियों के समर्थन में आम आदमी पार्टी (आआपा) के पार्षदों ने मंगलवार को एमसीडी सदन में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया।

नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग के नेतृत्व में आआपा पार्षदों ने हड़ताल के कारण दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामलों पर निगम से जवाब मांगा।

प्रदर्शन के दौरान अंकुश नारंग ने कहा कि दिल्ली में डेंगू-मलेरिया के केसों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उन्होंने सदन में कर्मचारियों की मांगें तत्काल पूरी करने के लिए निजी बिल पेश किया था, लेकिन निगम ने इसे स्वीकार नहीं किया।

नारंग ने बताया कि एमटीएस और सीएफडब्ल्यू कर्मचारी 29 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ये कर्मचारी डेंगू-मलेरिया विभाग के फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, जो फॉगिंग, स्प्रेइंग और वाटर टैंक चेकिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। हड़ताल के चलते ये सेवाएं पूरी तरह बंद हैं, जिसका सीधा असर दिल्ली की जनता पर पड़ रहा है।

नारंग ने कहा कि कर्मचारी भूख हड़ताल पर हैं, जहां रोजाना आठ-आठ कर्मचारी उपवास कर रहे हैं। उनका दशहरा, करवा चौथ और नवरात्रि की अष्टमी सड़क पर काली हो गई। अगर ऐसे ही चला, तो उनकी दिवाली भी काली रहेगी। उन्होंने 26 सितंबर को सदन में चेतावनी दी थी कि कर्मचारी 29 सितंबर से हड़ताल पर जाएंगे, लेकिन कि इनकी समस्याएं नही सुनी गई।

उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते की रिपोर्ट में मलेरिया के मामले पांच साल के सबसे ज्यादा हैं, चिकनगुनिया के केस बढ़ रहे हैं, जबकि डेंगू के 81 नए मामले सामने आए और कुल 840 हो चुके हैं। एमसीडी डेटा के अनुसार, इस साल अब तक मलेरिया के 431, डेंगू के 840 और चिकनगुनिया के 75 मामले दर्ज हो चुके हैं, जो पिछले हफ्ते में ही 60 मलेरिया, 81 डेंगू और 14 चिकनगुनिया के साथ चरम पर पहुंचे।

नारंग ने बताया कि कर्मचारियों की मुख्य मांगें हैं बेसिक वेतन में डीए और न्यूनतम ग्रेड पे के साथ 27,900 रुपये का समान वेतन, मेडिकल और अर्जित अवकाश तथा मृत्यु पर परिवार को क्षतिपूर्ति के रूप में नौकरी। इनकी लागत महज 50-60 करोड़ रुपये सालाना है।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 10 हफ्ते, 10 रविवार, 10 मिनट डेंगू पर वार जागरूकता अभियान का जिक्र किया, जिससे जनता घरों की सफाई करती थी।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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