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महाकुम्भ भगदड़ में मौत के मुआवजे पर निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

प्रयागराज, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेला अधिकारी महाकुम्भ मेला को बीते जनवरी माह में मौनी अमावस्या पर्व पर भगदड़ में एक श्रद्धालु की मृत्यु के मुआवजे पर कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है। साथ ही इस मामले में लिए गए निर्णय की कॉपी 13 नवम्बर को अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार एवं न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने रामकली बाई की याचिका पर उसके अधिवक्ता और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता को सुनकर दिया है।

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की निवासी याची के पति मोहनलाल अहिरवार की मृत्यु महाकुम्भ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ में हुई थी। याची ने याचिका के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज को याची के पति की हादसे में मृत्यु पर मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की। कोर्ट को बताया गया कि इस न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही याची को उसके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है और अब उसके पास पति के शव का पंचायतनामा भी है फिर भी उसे कोई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया है कि याची को गत 22 सितम्बर को नोटिस जारी कर 13 अक्टूबर को मेला अधिकारी महाकुम्भ मेला प्रयागराज के समक्ष अपने दावे के समर्थन में उसके पास मौजूद सभी सामग्री के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है। क्योंकि उसके दावे का आवेदन मेला अधिकारी के यहां विचाराधीन है।

कोर्ट को नोटिस के पर्याप्त तामीला का कोई तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं मिला और याची के अधिवक्ता ने कहा कि सुनवाई के एक दिन पहले तक याची को किसी नोटिस की जानकारी नहीं थी। इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता से नोटिस की कॉपी याची के अधिवक्ता अरुण यादव को सुनवाई के दौरान ही दिलाई। साथ ही निर्देश दिया कि नोटिस के जवाब में याची अपने पति की महाकुम्भ 2025 के मौनी अमावस्या पर्व के दौरान हुई आकस्मिक मृत्यु के संबंध में उसके पास उपलब्ध सभी सामग्री के साथ 30 अक्टूबर को मेला अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो। साथ ही नोटिस के तहत मांगी गई सभी सामग्री के साथ याची के उपस्थित होने पर मेला अधिकारी कानून के अनुसार याची के लम्बित आवेदन का निपटारा करते हुए सकारण और तर्कपूर्ण आदेश करें।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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