West Bengal

भाजपा ने उत्तर बंगाल के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के लिए चंदा मांगने के फैसले पर ममता सरकार से सवाल उठाए

ममता सरकार - भाजपा

कोलकाता, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । ममता बनर्जी सरकार द्वारा उत्तर बंगाल के बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित इलाकों के लिए जनसहयोग से राहत कोष बनाए जाने के फैसले पर भाजपा ने मंगलवार को सवाल उठाए।

राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2020 में ऐसा राहत कोष बनाया था। ताजा राहत कोष के तहत सरकार ने यह प्रावधान भी रखा है कि इसमें प्राप्त धनराशि का उपयोग राज्य के किसी भी हिस्से में भविष्य में आने वाली किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किया जा सकेगा, केवल उत्तर बंगाल तक सीमित नहीं रहेगा।

इस निर्णय के बाद राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर प्रश्न उठने लगे हैं कि क्या सरकार अब आपातकालीन सेवाओं के लिए भी जनता से चंदा मांगने को मजबूर है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने मंगलवार को कोलकाता से नई दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पिछले पांच वर्षों में राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) में केंद्र सरकार के हिस्से का उपयोग कहां किया गया।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से 2025 के बीच केंद्र की ओर से एसडीआरएफ में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस कोष में केंद्र की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत होती है। आखिर यह धनराशि कहां गई?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह उत्तर बंगाल के बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित इलाकों के दौरे के दौरान दावा किया था कि केंद्र सरकार ने राहत और पुनर्वास कार्यों में कोई सहयोग नहीं दिया।

भाजपा के आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री के इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार लगातार राहत कार्यों में समन्वय कर रही है, वित्तीय सहायता दे रही है और बचाव दल भी भेज रही है, जबकि राज्य प्रशासन की भूमिका नगण्य है।

मालवीय ने कहा कि लोगों की पीड़ा पर राजनीति करने के बजाय ममता बनर्जी को शासन पर ध्यान देना चाहिए, शिकायत पर नहीं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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