मुंबई, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । महाराष्ट्र के बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को खराब सडक़ों या गड्ढों के कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को 6 लाख रुपये और घायल व्यक्ति को 50,000 रुपये से लेकर 2.50 लाख रुपये तक का मुआवजा दिए जाने का आदेश जारी किया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की पीठ आज मुंबई के खराब रास्तों और गड्ढों से लोगों को होने वाली घटना और इससे वाहन चालकों को होने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। दरअसल तत्कालीन न्यायमूर्ति जी. एस. पटेल द्वारा 2013 में मुंबई की सडक़ों की दयनीय स्थिति को उजागर करते हुए लिखे गए एक पत्र के बाद न्यायालय ने इसी पत्र को एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रुप में सुनवाई शुरु की थी।
एक दशक से भी ज़्यादा समय बाद आज न्यायालय की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि 2015 से बार-बार न्यायिक हस्तक्षेप के बावजूद, हर मानसून में यही समस्याएँ फिर से उभर आती हैं, जो सरकारी अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करती हैं। पीठ ने सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि मुआवजे से इनकार करना नागरिकों के सुरक्षित सडक़ों के मौलिक अधिकार की अनदेखी करने के समान होगा, जिसका गंभीर उल्लंघन किया गया है।
पीठ ने सभी स्थानीय निकायों और म्हाडा, एमएसआरडीसी, सिडको जैसे अन्य नियोजन प्राधिकरणों को गड्ढों के कारण हुई दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवज़ा देने का आदेश दिया। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मुआवज़ा पीडि़तों को मिलने वाले किसी भी अन्य कानूनी उपाय के अतिरिक्त होगा। इसने यह भी आदेश दिया कि मुआवज़ा प्राधिकरण गड्ढे के लिए जिम्मेदार ठेकेदार या अधिकारी से यह राशि वसूल करें। न्यायालय ने यह भी कहा कि नागरिकों को अच्छी और गड्ढा मुक्त सडक़ें पाने का मौलिक अधिकार है।
अदालत ने कहा कि यह सेवा प्रदान न करना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के तहत नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन है। इस साल, मुंबई, ठाणे और भिवंडी में गड्ढों के कारण नागरिकों की मौत हुई, लेकिन पीठ ने कहा कि हर अधिकारी हमेशा की तरह ज़िम्मेदारी दूसरे पर डालने का खेल खेल रहा है।
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(Udaipur Kiran) यादव
