
रांची, 13 अक्टूबर( हि.स.)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड पुलिस के काम करने के तरीके पर बड़ा सवाल उठाया है।
मरांडी ने सोमवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि झारखंड पुलिस मुख्यालय का यह कैसा मज़ाक है। हमारे पास राजधानी रांची में एसएसपी ,डीआईजी और आईजी जैसे उच्च-रैंकिंग अधिकारी हैं, लेकिन जब रांची के गोंदा और नामकुम थानों से जुड़े एक गंभीर आपराधिक मामले (आवेदिका खुशी तिवारी के अभ्यावेदन) की जांच समीक्षा करने की बारी आई, तो यह काम पुलिस डीआईजी (बजट) को सौंपा गया है।
उन्होंने कहा कि क्या डीजीपी की नज़र में रांची में तैनात ये अधिकारी इतने सक्षम अधिकारी नहीं हैं कि उन्हें वित्तीय मामलों के डीआईजी को जांच का काम सौंपना पड़ा। यह पुलिस बल की अक्षमता और नियमों के घोर उल्लंघन का प्रमाण है ।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार आईआरबी-जैप बटालियन की महिला आरक्षियों को उनके विशेष प्रशिक्षण के विपरीत, थानों में मुंशी (क्लर्क) का गैर-कानूनी काम देने को उतावली है जिससे कई बटालियनों में 15 प्रतिशत से अधिक बल अनआर्म्ड ड्यूटी में चला जा रहा है । दूसरी तरफ, जब एक संवेदनशील मामले की समीक्षा की बात आई, तो इसे बजट विभाग को सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि अगर रॉंची के उच्चाधिकारी इतने ही नाकारा हैं कि वे जांच के बुनियादी काम भी नहीं कर सकते, तो उन्हें पद से हटा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कल को क्या जैप के बाकी जवानों को भी अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था संभालने के बजाय हिसाब-किताब के लिए बजट विभाग में भेज देंगे, ताकि जब केंद्र सरकार को चुनाव या अन्य ड्यूटी के लिए बल चाहिए हो, तो राज्य सरकार असुविधा के लिए खेद प्रकट कर सके।
उन्होंने कहा कि हद है इस अंधेरेगर्दी का। लगता है पुलिस विभाग में सबकुछ बिना नियम क़ानून के ठीक वैसे ही चलता है जैसे संवैधानिक क़ायदे-क़ानून और अखिल भारतीय पुलिस सेवा के नियमों को ठेंगा दिखाकर एक रिटायर्ड आईपीएस वर्दी पहन कर डीजीपी के पद को चला रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
