
धमतरी, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । धमतरी जिले में फर्जी सिम कार्ड का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों ने कुछ चिन्हांकित जगहों पर छापेमार कार्रवाई करके चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपितों के पास से मोबाइल, पीओएस सिम व फिंगरप्रिंट स्कैनर जब्त किया है। गिरफ्तार सभी आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने आईटी व टेलीकम्युनिकेशन एक्ट के तहत कार्रवाई कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार थाना प्रभारी सिटी कोतवाली व थाना प्रभारी सिहावा पुलिस ने फर्जी तरीके से सिमकार्ड जारी करने से संबंधित तीन अलग-अलग मामलों में कुल चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सिटी कोतवाली पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित रविंदर सिंह अजमानी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि आरोपित नागेन्द्र साहू ने मई-जून 2024 में उसका आधार कार्ड, बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट एवं लाइव फोटो लेकर उसके नाम से एक मोबाइल कंपनी का फर्जी सिम कार्ड जारी किया है।
रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपित नागेन्द्र साहू 26 वर्ष निवासी गौरा चौरा लालबगीचा धमतरी को गिरफ्तार किया है। वहीं फर्जी सिमकार्ड मामले में पुलिस ने आरोपित उमेश साहू 24 वर्ष निवासी ग्राम इर्रा, थाना भखारा और वासुदेव साहू उर्फ वासु साहू 28 वर्ष निवासी विंध्यवासिनी वार्ड धमतरी को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपित पीओएस आपरेटर के रूप में कार्य करते हुए फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर सिम कार्ड जारी करने में संलिप्त पाए गए। आरोपितों के पास से दो मोबाइल जब्त किए गए है। वहीं ओनिल कुमार साहू 21 वर्ष निवासी नवागांव वार्ड क्रमांक आठ थाना बोरई, जिला धमतरी को गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच में पाया गया है कि आरोपित द्वारा बिना वैधानिक सत्यापन प्रक्रिया का पालन किए पहचान पत्रों के आधार पर फर्जी सिम कार्ड जारी किए जा रहे थे, जिससे दूरसंचार सुरक्षा व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो रहा था। पुलिस ने गिरफ्तार सभी आरोपितों के पास से मोबाइल, पीओएस सिम व फिंगरप्रिंट स्कैनर जब्त किया है। चारों आरोपितों को विधिवत गिरफ्तार कर आज साेमवार काे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।
म्यूल अकाउंट और फर्जी सिम कार्ड का उपयोग बढ़ रहे
पुलिस ने बताया कि साइबर धोखाधड़ी के मामलों में म्यूल अकाउंट और पीओएस एजेंटों द्वारा जारी फर्जी सिम कार्ड का उपयोग बढ़ रहा है। आरोपित अब अपनी वास्तविक पहचान छिपाने के लिए म्यूल खातों (दूसरों के बैंक खातों) का सहारा ले रहे हैं। इन खातों का उपयोग वे अवैध लेनदेन, ठगी से प्राप्त धनराशि के ट्रांसफर तथा मनी लान्ड्रिंग जैसे कार्यों में करते हैं। कुछ एजेंट एक ही आधार कार्ड या बायोमेट्रिक जानकारी का बार-बार उपयोग करके कई सिम कार्ड सक्रिय कर देते हैं, जो पूरी तरह गैरकानूनी और साइबर अपराध को बढ़ावा देने वाला कृत्य है। बिना उपयोगकर्ता की अनुमति या उचित पहचान सत्यापन के जारी किए गए ऐसे सिम कार्ड वित्तीय अपराधों और पहचान चोरी के प्रमुख साधन बनते जा रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
