
– हरित ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के दम पर तय हो रहा भविष्य, सृजन और समृद्धि की ओर बढ़ते कदम
उज्जैन, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के उज्जैन संभाग में नवीकरणीय ऊर्जा का परिदृश्य बदलने लगा है। सौर पैनल निर्माण से लेकर बड़े‑स्तरीय हाइब्रिड फार्म तक की योजनाएं न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ा रही हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, ग्रामीण विकास और रोज़गार के नए अवसर भी तैयार कर रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में लागू राज्य नीतियों ने उज्जैन, शाजापुर, रतलाम और मंदसौर जिलों में निवेश आकर्षित कर सूबे को अक्षय ऊर्जा के मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 के अंत तक संभाग की सौर क्षमता 1,000 मेगावाट को पार कर सकती है, जो प्रदेश के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य में एक अहम कड़ी साबित होगी।
एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय महाप्रबंधक राजेश राठौर ने सोमवार को बताया कि राज्य स्तर पर उत्साहजनक रुझान है, जिसमें प्रदेश में स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 11,279 मेगावाट पहुंच चुकी है, जिसमें सौर ऊर्जा का योगदान 4,200 मेगावाट से अधिक है। अब उज्जैन संभाग इस प्रगति का केन्द्र बनता जा रहा है। यहां की भौगोलिक परिस्थितियां, उच्च सूर्य‑किरणें और उपलब्ध खाली भूमि निवेश के लिए अनुकूल साबित हो रही हैं। मुख्यमंत्री ने भी कई बैठकों में इसे अवसर बताते हुए कहा है कि संभाग में सौर मॉड्यूल और बैटरी उत्पादन पर खास ध्यान दिया जाए, ताकि आपूर्ति‑श्रृंखला स्थानीय आधार पर मजबूत हो और रोजगार भी बने। यह रणनीति राज्य के 2030 तक 22,000 मेगावाट के अक्षय लक्ष्यों और ऊर्जा भंडारण को 6,000 मेगावाट तक ले जाने की योजना का सहयोग करेगी।
क्षेत्रीय महाप्रबंधक राठौर ने बताया कि उज्जैन संभाग अब केवल ऊर्जा उत्पादन का केन्द्र नहीं रहेगा, वह सतत, स्थानीय विनिर्माण और हरी अर्थव्यवस्था का हब बनने की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार और प्राइवेट निवेशक मिलकर ऐसी आपूर्ति‑श्रृंखलाएं खड़ी कर रहे हैं जो न सिर्फ प्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि समावेशी विकास का मॉडल भी पेश करेंगी। आने वाले वर्षों में उज्जैन संभाग ऊर्जा निर्यातक के रूप में उभर सकता है, जो नवाचार, रोजगार और पर्यावरणीय हित को साथ लेकर चलेगा। अनुमान है कि संभाग में ये परियोजनाएं मिलकर 10,000 से अधिक रोजगार पैदा करेंगी और स्किल‑डिवेवलपमेंट प्रोग्राम के द्वारा कुशल कार्यबल तैयार किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक ये निवेश स्थानीय GDP में लगभग 15% वृद्धि ला सकते हैं और ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंच 95% तक बढ़ाने में मददगार होंगे।
प्रमुख परियोजनाएं, जो देंगी उड़ान
उज्जैन संभाग में चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं की सूची दिखाती है कि यहां विविधता और पैमाने दोनों मौजूद हैं। शाजापुर जिले के मक्सी औद्योगिक क्षेत्र में जैक्सन इंजीनियर्स 6 गीगावाट क्षमता का सोलर मॉड्यूल, सेल और वेफर प्लांट 8,000 करोड़ रुपये निवेश के साथ लगा रहे हैं, जो 2026 से उत्पादन शुरू करेगा और इससे 2,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे, साथ ही घरेलू और निर्यात बाजार दोनों को ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होगी। रतलाम के मेगा स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क में भीलवाड़ा एनर्जी लिमिटेड अपनी सोलर सेल फैक्ट्री के लिए 34 हेक्टेयर भूमि पर 1,325 करोड़ रुपये निवेश कर रही है, जिससे 510 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे और रतलाम को सौर ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनाने में मदद मिलेगी, साथ ही पर्यावरण को लाभ मिलेगा।
नगदा में पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की 85 मेगावाट सोलर पीवी परियोजना 554.91 करोड़ रुपये की लागत से अप्रैल 2025 में चालू हो चुकी है, जो सालाना 1.2 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगी और आसपास के गांवों को विश्वसनीय बिजली देगी। रतलाम में कंटिन्यूअम ग्रीन एनर्जी का 250 मेगावाट क्षमता वाला रतलाम‑2 हाइब्रिड सोलर‑विंड फार्म आंशिक रूप से चालू है और बड़ी औद्योगिक इकाइयों को 20 प्रतिशत तक लागत कम करने वाली हाइब्रिड पावर सप्लाई करेगा। रतलाम में ही प्रस्तावित यूटीएल सोलर की 5 गीगावाट यूनिट 500 करोड़ रुपये निवेश से दिल्ली‑मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के पास 100 एकड़ में विकसित होगी और सालाना 1.5 गीगावाट अतिरिक्त उत्पादन जोड़ेगी।
मंदसौर जिले में मध्य प्रदेश जल निगम का 100 मेगावाट ग्राउंड‑माउंटेड सोलर प्रोजेक्ट 315 एकड़ में बनेगा, सिंचाई और औद्योगिक जरूरतों के लिए बिजली उपलब्ध कराएगा और जल संरक्षण को बढ़ावा देगा।
नीतिगत फ्रेमवर्क: निवेश के लिए खुला दरवाज़ा
मध्य प्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा नीति‑2025 ने संभाग के विकास का मार्ग स्पष्ट कर दिया है। नीति के तहत निवेशकों को कई वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं । इसमें 10 वर्षों तक 100% बिजली ड्यूटी छूट, 50% स्टाम्प ड्यूटी रिफंड, और व्हीलिंग चार्ज में रियायत जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही, ग्रीन हाइड्रोजन और बायोफ्यूल परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए कैपिटल सहायता के रूप में 2,000 करोड़ तक की राशि और इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रांट में 50 लाख तक की सहायता का प्रावधान किया गया है। बायोफ्यूल स्कीम‑2025 के अंतर्गत भी 200 करोड़ तक की सब्सिडी और बिजली टैरिफ रियायत से किसानों को जैट्रोफा व अन्य बायोमास फसलों से जुड़ने में मदद मिल सकेगी।
विंड एनर्जी को तेज़ी से बढ़ाने के लिए संभाग में कुल 3,000 मेगावाट की योजनाएं चलाई जा रही हैं। ये परियोजनाएं उज्जैन, आगर और रतलाम क्षेत्रों में फैली होंगी और हाइब्रिड मॉडल अपनाकर मौसमी उतार‑चढ़ाव से निपटेंगी। सरकार की ऑनलाइन इन्वेस्ट पोर्टल ने भी मंजूरियों की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। मंजूरी का समय 30 दिनों तक सीमित किया गया है, जिससे निवेश निर्णय तेजी से लिए जा रहे हैं।
(Udaipur Kiran) तोमर
