Uttar Pradesh

केएम विश्वविद्यालय में हुआ आईकेएस पर अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार

विवि में आयोजित सेमीनार में प्रतिभाग करने वालों के साथ कुलाधिपति किशन चौधरी

विश्व का कल्याण भारत के ज्ञान-विज्ञान से होगा

कई देशों, कई राज्यों, कई शहरों से आए व्याख्याताओं ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के वैश्विक प्रसार पर मंच किया साझा

भारतीय ज्ञान परंपरा -कल, आज और कल विषय पर हुआ उत्कृष्ट संवाद

मथुरा, 12 अक्टूबर(Udaipur Kiran News) । केएम विश्वविद्यालय एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान ब्रज प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में विवि के संवाद भवन में “भारतीय ज्ञान परंपरा : कल, आज और कल” विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें देश-विदेश से आए विद्वानों, शिक्षाविदों व विशिष्ट अतिथियों ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के वैश्विक प्रसार पर विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा), विशिष्ट अतिथि डॉ. विपिन कुमार (भारत सरकार के वित्त व विदेश मंत्रालय में सलाहकार), प्रो. राजेश ठाकरे (ब्रज यूनिवर्सिटी, भरतपुर), प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा (पूर्व क्षेत्र कार्यवाह, पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र, आरएसएस) तथा कुलाधिपति किशन चौधरी, कुलपति डॉ. एन.सी. प्रजापति, कुलसचिव डॉ. पूरन सिंह, व मेडिकल प्राचार्य डॉ. पी.एन. भिसे ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया।

विवि के कुलाधिपति किशन चौधरी ने कहा कि शिक्षा और विद्या जिसमें होती है, वह संस्कारवान है, क्योंकि किताबों से ज्ञान और जीवन के तजुर्बे से शिक्षा ही संस्कार कहलाता है, संस्कार लेने के बाद निश्चित ही वह व्यक्ति कामयाब हो जाता है। मुख्य अतिथि प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने भारतीय ज्ञान परंपरा और व्यवस्थित शिक्षा पर बारीकीयां को समझाते हुए कहा वर्तमान पाठ्यक्रमों से विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल तो तैयार हो रहे हैं लेकिन मानव निर्माण की शिक्षा का नितांत आभाव है, जो भारत भाषा पर ठेस पहुंचाती है, विदेशी भाषा के जरिए शिक्षा, कामकाज, अंग्रेजी हमारे कल्चर में आया है। जिससे हमारे वेदो, ऋषि, शास्त्रों और संस्कार को खारिज कर दिया है। भारतीय पश्चिमी सभ्यता से हमारी संस्कृति दूर जा रही है। विदेशी भाषा का चयन करना ही हमारे जीवन को परिवर्तन कर देता है। प्रो. राजेश ठाकरे ने अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व भारतीय संस्कृति की देन हैं। उन्होंने माइक्रोप्लास्टिक के दुष्प्रभाव और पारंपरिक विधाओं को शिक्षा में शामिल करने की आवश्यकता बताई। प्रोफेसर प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा अत्यंत गौरवशाली रहा है, प्राचीन ऋषि अपने आप में वैज्ञानिक थे। इन ऋषियों ने जीवन के प्रत्येक पहलुओं जैसे, नैतिक, भौतिक, आध्यात्मिक, चारीत्रिक, व्यवसायिक आदि का गहनता से विश्लेषण किया और समाज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। आज का भारत पाश्चात सभ्यता के जाल में फंसकर अपने गौरवशाली परंपरा और उत्कृष्ट ज्ञान भंडार से दूर होता जा रहा है। डा. विपिन कुमार ने भारत की संधि विच्छेद करते हुए कहा विश्व का कल्याण भारत के ज्ञान-विज्ञान से होगा और विश्वगुरु पुनः भारत बनेगा। इसी प्रकार से मॉरीशस की एमजीआई वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. तनुजा पदारथ ने कहा फिजी, दक्षिण अफ्रीका, गयाना, सूरीनाम जैसे देशों में भारतीय मूल के लोग रह रहे है, वह भारत से श्री रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, गंगाजल आदि वस्तुएं लेकर गए। उनके आगमन से ही इन देशों में सनातन धर्म और काली माई की परंपरा देखी जाती है। यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के वैश्विक प्रसार को दर्शाता है। जर्मनी सहित अन्य यूरोपिय देशों में भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी को पहचान दिलाने के लिए कार्य कर रहे जर्मनी के हैंम्बर्ग विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर रामप्रसाद भारतीय ज्ञान परंपरा को गौरवशाली बताया। वहीं रीता कौशल ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। इसी प्रकार से प्रोफेसर कैलाश विश्वकर्मा, देवी प्रसाद मिश्रा, प्रो. महावीर सिंह छौंकर, लेखक शशांक प्रभाकर, प्रो. आरडी कटरा, दीपक शर्मा ने भारतीय ज्ञान पर जोरदार भाषण देते हुए एवं विभिन्न पहलुओं को उजागर करने और उसे आधुनिक संदर्भ में समझने का एक महत्वपूर्ण मंच साझा किया।

विवि के कुलसचिव डा. पूरन सिंह ने अध्यक्षता एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा जीवन में हमें अपने महान भारतीय परंपरा से सीख लेनी चाहिए। विवि के कुलाधिपति ने सभी अतिथियों का श्रीकृष्ण की मूर्ति एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। मंच का संचालन असिटेंट प्रोफेसर राजन पेड्डी ने किया। इस अवसर पर सेमीनार में अलग अलग शहरों एवं राज्यों से आए शिक्षा के जानकार उपस्थित रहे। इसके अलावा विवि के प्रति कुलपति डा. शरद अग्रवाल, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे, एडीशनल मेडीकल सुप्रीटेंट डा. आरपी गुप्ता, सेमीनार के संगठन संयोजक प्रो. केके कौनोदिया, प्रो. सुमित मोहन, डा.आरएस पुण्डिर, डा.कुर्शीद आलम, डा. शिवराज सिंह, डा. सुमित, डा. ब्रजकिशोर सहित विवि सलाहाकार एसपी गोस्वामी, एसोसिएट डायरेक्टर स्पोर्ट आरके शर्मा व अन्य शहरों से आए दर्जनों प्रोफेसर/शिक्षाविद और केएम विवि के समस्त डीन, संकायों के प्रोफेसर सहित बड़ी तादाद में छात्र-छात्राएं मौजूद रही।

(Udaipur Kiran) / महेश कुमार

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