गोरखपुर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जिस धरती ने ज्ञान, भक्ति और विज्ञान—तीनों का समन्वय किया है, वही अब चिकित्सा जगत में एक नई क्रांति की साक्षी बनने जा रही है। 11 और 12 अक्टूबर को कोर्टयार्ड बाय मैरियट, गोरखपुर का भव्य सभागार उस क्षण का साक्षी बनेगा, जब भारत के शीर्ष चिकित्सा मनीषी एक ही मंच पर जुटेंगे—इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी–उत्तर प्रदेश चैप्टर के तत्वावधान में आयोजित यूपीआईएस जीसीओएन-2025 में।
यह सम्मेलन ज्ञान, सेवा और संवेदना का महासंगम है, जिसका केंद्रीय विषय है। “गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी में क्लिनिकल दृष्टिकोण : ज्ञान और व्यवहार का सेतु।” यह आयोजन पूर्वांचल की चिकित्सा यात्रा में वह अध्याय है जो गोरखपुर को राष्ट्रीय चिकित्सा मानचित्र पर एक नए केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
–ज्ञान और अनुभव का महाकुम्भ
तेज़ जीवनशैली, तनावपूर्ण कार्यसंस्कृति और असंतुलित आहार के कारण आज लिवर और पाचन तंत्र से संबंधित रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। एनएएफएलडी (NAFLD), हेपेटाइटिस-बी और सी जैसी बीमारियाँ अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि छोटे शहरों तक पहुँच चुकी हैं।
ऐसे समय में यह सम्मेलन चिकित्सा जगत को नयी दृष्टि और आम जनमानस को स्वास्थ्य चेतना प्रदान करेगा। यह ज्ञान और अनुभव का वह महाकुम्भ है जहाँ विज्ञान की हर नई लहर उपचार की नयी सम्भावना लेकर उठेगी।
–आयोजन का विराट स्वरूप
इस प्रतिष्ठित आयोजन के तीन स्तम्भ हैं — डॉ. सुनील कुमार केजरीवाल (अध्यक्ष), डॉ. पंकज कुमार (सचिव) और डॉ. ठाकुर शांत सिंह (वैज्ञानिक सचिव)। तीनों ही अपने-अपने क्षेत्र में चिकित्सा सेवा और शोध के पर्याय हैं। इनके नेतृत्व में तैयार आयोजन समिति में गोरखपुर से लेकर देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों तक के चिकित्सक जुड़े हैं। इसमें प्रमुख संरक्षक हैं डॉ. एस.पी. त्रिपाठी, डॉ. वी.के. दत्ता, डॉ. राकेश अग्रवाल, डॉ. दीपक अग्रवाल, डॉ. आलोक त्रिपाठी, डॉ. पुनीत मेहरोत्रा आदि। सलाहकारों में डॉ. समीर मोहंता, डॉ. जवेर राय, डॉ. अमित गोयल, डॉ. सौरभ केडिया, डॉ. सुमित गंगटा* जैसे विद्वान नाम शामिल हैं। कार्यकारिणी में डॉ. आनंद पांडेय , डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. श्रीनिवास राव, डॉ. ऋषभ गुप्ता, डॉ. शिवम वर्मा और डॉ. उपेंद्र गुप्ता जैसे युवा नेतृत्व इस आयोजन की आत्मा हैं।
–राष्ट्रीय मनीषियों का संगम
देश भर से लगभग पचास से अधिक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ इस अधिवेशन में अपने ज्ञान का अमृत बाँटेंगे। इनमें प्रमुख नाम हैं डॉ. गौरदास चौधरी (फोर्टिस, गुड़गांव), डॉ. अनूप सराया और डॉ. गोविंद मखारिया (एम्स, नई दिल्ली), डॉ. दावेश यादव, डॉ. वी.के. दत्ता (बीएचयू, वाराणसी), डॉ. राकेश अग्रवाल, डॉ. वीर राय, डॉ. समीर मोहंता, डॉ. पुनीत मेहरोत्रा (एसजीपीजीआई, लखनऊ), डॉ. आलोक त्रिपाठी, डॉ. मनीषा द्विवेदी (प्रयागराज), डॉ. मलय शर्मा (मेरठ), डॉ. रमेश कुमार (पटना) आदि। इन मनीषियों की उपस्थिति इस सम्मेलन को राष्ट्रीय से वैश्विक स्तर तक प्रतिष्ठित करने जा रही है।
–वैज्ञानिकता और व्यवहार का सेतु
सम्मेलन के दौरान देश के विशेषज्ञ चिकित्सक अपने नवीन शोध प्रस्तुत करेंगे। यहां वैज्ञानिक सत्रों में शोध-पत्रों का वाचन, इंटरएक्टिव केस स्टडीज, लाइव सर्जरी डेमो, पैनल चर्चाएँ और नवीनतम उपचार पद्धतियों का प्रदर्शन हाेगा। इन चर्चाओं का मूल उद्देश्य है युवा चिकित्सकों को शोध के प्रति प्रेरित करना, चिकित्सा-शिक्षा को व्यवहारिक बनाना और चिकित्सा सेवा को और अधिक प्रभावी दिशा देना।
उद्घाटन सत्र में नगर निगम गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव मुख्य अतिथि होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप मेंडॉ. प्रतिभा गुप्ता (अध्यक्ष, आईएमएगोरखपुर) और डॉ. डी.के. सिंह (सचिव, आईएमए एएमएस उत्तर प्रदेश) मंच की शोभा बढ़ाएँगे।
इन्फिनिटी बॉलरूम, कोर्टयार्ड बाय मैरियट, गोरखपुर में कार्यक्रम के दूसरे दिन 12 अक्टूबर को समापन सत्र में युवा चिकित्सकों को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित किया जाएगा।
स्वास्थ्य और समाज की दिशा में एक कदम
सम्मेलन के आयोजक मानते हैं कि चिकित्सा केवल उपचार नहीं, बल्कि जीवनशैली में सुधार का विज्ञान है।
आज जब देश में हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर या पाचन विकारों से जूझ रहा है, तब यह सम्मेलन जनजागरूकता का भी माध्यम बनेगा।
गोरखपुर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सोसाइटी ने वर्षों से वंचित वर्गों तक निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा, यकृत रोगों की स्क्रीनिंग, और युवा चिकित्सकों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।
यह आयोजन गोरखपुर को चिकित्सा जगत की नई राजधानी बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।
पूर्वांचल में यह पहला अवसर होगा जब देश के इतने बड़े स्तर के चिकित्सा विशेषज्ञ एक ही छत के नीचे एकत्र होंगे।
इससे न केवल चिकित्सकों का प्रशिक्षण सशक्त होगा, बल्कि स्थानीय रोगियों के लिए उच्चस्तरीय उपचार की पहुँच भी सुनिश्चित होगी।
गोरखपुर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सोसाइटी के पदाधिकारी इस आयोजन को “पूर्वांचल की चिकित्सा चेतना का पुनर्जागरण” मानते हैं। “गोरखपुर केवल एक शहर नहीं रहेगा, बल्कि वैज्ञानिक चिकित्सा अनुसंधान और क्लिनिकल उत्कृष्टता का नया केंद्र बनकर उभरेगा।”
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
