
कोलकाता, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । वरिष्ठ तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने शुक्रवार रात एक बयान देकर सियासी हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को “मेला और खेला” आयोजित करने की दीवानगी छोड़कर राजनीतिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, खासकर जब चुनाव नज़दीक हों।
यह बयान उन्होंने बारानगर में आयोजित एक ‘विजया सम्मेलन’ के कार्यक्रम में दिया। रॉय के इस बयान से मौके पर मौजूद सैकड़ों तृणमूल समर्थक और कार्यकर्ता हैरान रह गए।
सौगत रॉय ने कहा कि जब कोई पार्टी उत्सवों और खेलकूद को प्राथमिकता देने लगती है, तो वह धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक आत्मा खो देती है। हमें याद रखना चाहिए कि राज्य में विधानसभा चुनाव में अब केवल छह महीने बचे हैं। पार्टी को अब राजनीतिक रणनीति और कार्यक्रमों पर ध्यान देना चाहिए, न कि ऐसी गतिविधियों में उलझना चाहिए जिनका पार्टी की राजनीतिक पहचान से कोई लेना-देना नहीं है।
शनिवार को उनका यह बयान वाला वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि “ (Udaipur Kiran) “ इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
विपक्षी दलों ने इस बयान को तूल देते हुए तृणमूल पर तीखा हमला बोला।
भाजपा ने कहा कि सौगत रॉय ने “सच बोल दिया”, लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी बात का असर पार्टी नेतृत्व पर होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शामिक भट्टाचार्य ने कहा कि सौगत दा एक अनुभवी और जानकार नेता हैं। उन्होंने आखिरकार सच्चाई कह दी। लेकिन क्या वे इन तथ्यों से इतने सालों तक अनजान थे? सब जानते हैं कि तृणमूल का मतलब ही अब ‘मेला और खेला’ हो गया है। जब उत्तर बंगाल बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहा था, तब मुख्यमंत्री दुर्गा पूजा कार्निवाल में व्यस्त थीं।
माकपा नेता सतरूप घोष ने कहा, “सब जानते हैं कि तृणमूल नेताओं की प्राथमिकता कटमनी और वसूली से मेले-त्योहार आयोजित करना ही है। पता नहीं सौगत बाबू अचानक इस तरह क्यों बोल रहे हैं। शायद उन्हें अगली बार टिकट न मिलने का डर है, या फिर कोई और वजह।”
तृणमूल आईटी सेल के प्रमुख और प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने कहा कि यह देखना होगा कि सौगत रॉय ने किस मंच और किस संदर्भ में ये बात कही, “वे वरिष्ठ नेता हैं और उनकी राय का पार्टी में हमेशा सम्मान किया जाता है। विपक्ष को उनके बयान पर खुश होने की ज़रूरत नहीं है।”
सौगत रॉय का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्ष लंबे समय से तृणमूल पर “केवल मेला और खेला में व्यस्त रहने” और विकास एवं प्रशासनिक मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाता रहा है।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
