

सन्यासी और साहित्यकार को घूमते रहना चाहिए: डा. पवनपुत्र बादल
लखनऊ,11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । लखनऊ विश्वविद्यालय के एपी सेन सभागार में शनिवार को उo प्रo सचिवालय में कार्यरत सर्वेश कुमार मिश्र द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘यथार्थ’ का लोकार्पण पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने सर्वेश कुमार मिश्र की लेखनी, संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि “यथार्थ पुस्तक केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है, जिसमें चेतना, करुणा, संवेदना और साहस को खूबसूरती से पिरोया गया है।”
प्रो. जोशी ने कहा कि यह भ्रम है कि आज की युवा पीढ़ी पुस्तकें नहीं पढ़ती। उन्होंने कहा, “आज के युवा पहले से अधिक पढ़ रहे हैं, लेकिन ई-बुक्स के माध्यम से। इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के श्रेष्ठतम लेखक युवाओं की पहुंच में हैं।” उन्होंने कहा कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि संस्कृति का संरक्षक भी है।
सन्यासी और साहित्यकार को घूमते रहना चाहिए: डा. पवनपुत्र बादल
डा. पवन पुत्र बादल ने कहा कि भारत का पूरा पूरा साहित्य लोक कल्याण के लिए लिखा गया है। हम जो भी लिखें वह भारत की परम्परा को, भारत की व्यवस्था को,भारत के ज्ञान को, भारत की प्रज्ञा को, भारत के महापुरूषों और क्रान्तिकारियों को केन्द्र में रखकर साहित्य की रचना करें।
पवन पुत्र बादल ने कहा कि सन्यासी और साहित्यकार को हमेशा घूमते रहना चाहिए। समर्थ गुरू रामदास ने मुगल आक्रान्ताओं के आतंक से समाज को निजात दिलाने के लिए छत्रपति शिवाजी को लेकर आये। संत प्राणनाथ जब समाज में निकले महाराज छत्रसाल के रूप में इस देश को एक योऋद्धरा समाज को दिया। यही काम साहित्यकार का है कि वह समाज की नब्ज को पकड़े। आज समाज की आवश्यकता क्या है। समाज में विकृतियां क्या आ गयी हैं, नौजवान क्या चाह रहा है क्या चुनौतियां हैं नब्ज को टटोलकर साहित्य की रचना करें। यही भारत की परम्परा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आईएएस अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉo राम मनोहर मिश्र ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने ‘यथार्थ’ को स्वान्तः सुखाय और बहुजन हिताय के सुंदर समन्वय का उदाहरण बताया।
शतरंग प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक के संपादक सुरेंद्र अग्निहोत्री ने बताया कि इस संग्रह में कुल 78 कविताएं हैं, जिनमें कवि ने समाज की विसंगतियों, मानवीय चिंताओं, और आने वाली चुनौतियों को अभिव्यक्त किया है।
कार्यक्रम का संचालन अशोक शुक्ल व आभार कवि सर्वेश कुमार मिश्र ने व्यक्त किया।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
