Uttar Pradesh

लखीमपुर के दशहरा मेले की सातवीं शाम जवाबी कव्वाली में गूंज उठी गंगा-जमुनी सरगम

अतिथि पूर्व मंत्री आरएस उस्मानी को स्मृति चिन्ह देती डॉ इरा श्रीवास्तव
कार्यक्रम देखते हुए अतिथिगण
कव्वाली पेश करती कलाकार

लखीमपुर खीरी, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । प्राचीन ऐतिहासिक दशहरा मेला इन दिनों सांस्कृतिक उमंगों और सामाजिक सद्भाव का जीवंत प्रतीक बना हुआ है। मेले के सातवें दिन करवा चौथ के पावन अवसर पर जवाबी कव्वाली का आयोजन हुआ, जिसने श्रोताओं के दिलों में प्रेम, एकता और भाईचारे की लौ जगा दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पालिकाध्यक्षा डॉ. इरा श्रीवास्तव ने की, जबकि संचालन समाजसेवी-साहित्यकार राममोहन गुप्त ने किया। मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री हाजी आर.एस. उस्मानी ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और कहा कि गंगा-जमुनी तहज़ीब की यह शाम लखीमपुर की पहचान है, यह मंच वाकई लाजवाब है। जवाबी कव्वाली के दौर में जब बरेली के मशहूर कव्वाल साबिर चिश्ती ने सुरों में लपेटकर कहा “जिसे मुस्तफ़ा से मोहब्बत नहीं है, क़ुबूल उसकी कोई इबादत नहीं है. और जब भी मेरी कहानी लिखना

मुझ को हिन्दुस्तानी लिखना” तो श्रोता तालियों की गड़गड़ाहट से झूम उठे। वहीं कव्वाला मुस्कान बरेली ने अपने अल्फ़ाज़ों से समरसता का सन्देश दिया “बहती है प्रेम की गंगा बहने दो, क्यों करते हो देश में दंगा रहने दो…” और जब उन्होंने अंतिम बंद में कहा “हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका एक ही नारा है, ये भारत देश हमारा है…” तो पूरा पंडाल “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा।

कार्यक्रम का सफल संयोजन राशिद खान, बरकत अली, शमशुल हसन, निगार अली, और तमसीन बानो ने किया। इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में अब्दुल मन्नान अंसारी, जमील अहमद, शफीक अहमद, तारिक, राजेन्द्र अजमानी, शिव तोलानी, और मयंक नागर को पालिका परिषद द्वारा विशेष सम्मान प्रदान किया गया।

इस अवसर पर अधिशासी अधिकारी संजय कुमार, मेलाधिकारी सामरा सईद, मेलाध्यक्ष कौशल तिवारी, इंजी. दुर्गेश वर्मा, देवाशीष मुखर्जी, विजय गुप्ता, अनिल गुप्ता, मोहित शुक्ला, बाबूलाल, प्रह्लाद, इशू सहित बड़ी संख्या में जनसमुदाय उपस्थित रहा। यह कव्वाली की शाम सिर्फ़ सुरों का संगम नहीं थी, बल्कि सांस्कृतिक एकता, सौहार्द और भारतीयता के अमिट भावों का उत्सव बनकर हृदयों में बस गई।

(Udaipur Kiran) / देवनन्दन श्रीवास्तव

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