
हरिद्वार, 10अक्टूबर (Udaipur Kiran News) विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर ,बिहार का वार्षिक अधिवेशन व सम्मान समारोह शुक्रवार को उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के आडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ गीतकार अनिल अमरोही की सरस्वती वंदना व विद्यापीठ के कुलगीत से अधिवेशन का शुभारंभ हुआ।
स्वागत भाषण में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव व संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ आनन्द भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत भाषाओं की जननी है तो हिंदी उसकी बेटी ।उन्होंने कहा कि पुरातन काल से विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ देश दुनिया मे हिंदी की अलख जगा रही है।आर्मी स्कूल रुड़की की प्रवक्ता शिखा शर्मा द्वारा लिखित 3 पुस्तकों आत्म मंथन,श्रीगोपाल काव्यधारा में अध्यात्म व दादी और विभव का विमोचन भी इस अवसर पर किया गया।
विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ श्रीगोपाल नारसन ने अपने सम्बोधन में सभी अतिथियों व सम्मानित हो रही प्रतिभाओं की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए मां गंगा के तट पर सरस्वती पुत्र-पुत्रियों को सारस्वत सम्मान मिलने को बेहद सुखद अनुभव बताया।
मुख्य अतिथि दर्जाधारी राज्य मंत्री श्यामवीर सैनी ने हिंदी सेवा के लिए विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ को भारत का गौरव बताया तो विशिष्ट अतिथि राजयोगिनी बीके मंजु दीदी ने आत्म स्वरूप में रहकर परमात्मा तक पहुंचने की राजयोग विधा की जानकारी दी और कहा ,यही इंसान से देवता बनने का मार्ग भी है।
इस अवसर पर संस्था के उप कुलसचिव डॉ प्रेमचंद पांडेय की संचालन में ने हिंदी विद्वानों का सारस्वत सम्मान मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार के राज्य मंत्री श्यामवीर सैनी,विशिष्ट अतिथि ब्रह्माकुमारीज सब जोन इंचार्ज राजयोगिनी बीके मंजू दीदी ,संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ आनन्द भारद्वाज, कुलपति डॉ दयानन्द जायसवाल, उपकुलपति डॉ श्रीगोपाल नारसन ने प्रदान किया।सम्मान पाने वालों में वरिष्ठ कवि सुरेंद्र कुमार सैनी ,देहरादून से आए कुंवर राज आस्थाना, छत्तीसगढ़ से वन्दना गोपाल शर्मा,करनाल से रमेश सैनी, मुजफ्फरनगर से सविता वर्मा गज़ल, अशोक शर्मा आर्य, नवीन शरण निश्चल,अजय शर्मा, हेमंत तिवारी, मनु शिवपुरी, हरिश्चंद्र गुरुरानी, किशोरी लाल रतूड़ी, आचार्य भानुमित्र शर्मा, आदि शामिल हैं।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
