

रामगढ़, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा। शहर के वैष्णो देवी मंदिर में शुक्रवार की शाम काे करवा चौथ व्रत की कथा का आयोजन किया गया।
पूजा में सैकड़ों महिलाओं ने माता करवा की आराधना की। इस अवसर पर महिला श्रद्धालुओं ने अपने पति और परिवार की सलामती की कामना की। मंदिर के पुजारी ने व्रतियों को करवा चौथ की कथा सुनाई। इस दौरान पूजन सामग्री से भरी थाली की पांच बार परिक्रमा करने के बाद महिलाओं ने पूजा संपन्न किया। मंदिर में जले अखंड दीप के साथ सजी हुई थाली लेकर व्रत करने वाली महिलाएं अपने घर पहुंची। हाथों में मेहंदी और मांग में सिंदूर के साथ 16 श्रृंगार कर महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा। साथ ही उगते चांद को देखकर अपना व्रत संपन्न किया।
प्रेम के अटूट संबंध का प्रतीक है करवा चौथ
करवा चौथ का व्रत प्रेम के अटूट बंधन का प्रतीक माना गया है। इसमें सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं।
301 सुहागिन महिलाओं ने की अखंड सुहाग की प्रार्थनाहाथों में मेहंदी और पांवों में महावर रचाए सुहागिन महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर पति की दीर्घायु और दीर्घायु की कामना को लेकर करवा चौथ का व्रत रखा। शहर के झंडा चौक स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर परिसर में शुक्रवार की संध्या समय व्रत रखने वाली रामगढ़ सहित आस पास क्षेत्रों की 301 सुहागिन महिलाओं ने पूजा अर्चना की और करवा चौथ की कथा सुनी। पंजाबी हिन्दू बिरादरी ने व्रतधारी महिलाओं के लिए मंदिर परिसर में मां करवा की कथा सुनाने का विशेष प्रबंध किया था। पुजारी पंडित लीलाधर शर्मा ने परंपरागत ढंग से सुहागिन महिलाओं को सुनाई। पंजाबी हिन्दू बिरादरी के महासचिव और पत्रकार महेश मारवाह ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाए जाने वाला यह त्यौहार करवा चौथ सौभाग्यवती महिलाओं का महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत में महिलाएं प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर दिनभर निर्जला उपवास करती हैं। संध्या में समय मां करवा की कथा सुनती हैं और चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथों जल ग्रहण कर अपना व्रत तोडती हैं और पारण करती हैं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में पंजाबी हिन्दू बिरादरी के अध्यक्ष सुरत चन्द्र वासुदेव, महासचिव महेश मारवाह, अश्वनी शर्मा सहित अन्य सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।
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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
