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रेप पीड़िता का वीडियो प्रसारित करने के अपराध की विवेचना के तरीके पर उठे सवाल

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

-कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

प्रयागराज, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अजय भनोट व न्यायमूर्ति श्रीमती गरिमा प्रशाद की खंडपीठ ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। और पूछा है कि सही तरीके से विवेचना क्यों नही की जा रही है। रेप पीड़िता का वीडियो बनाने वाला मोबाइल फोन बरामद क्यों नहीं किया गया।

याची विनोद मिश्रा पर सावित्री नगर, झूंसी निवासी पीड़िता का आरोप है कि उन्होंने शादी का झांसा देकर रेप करने का वीडियो तैयार किया और पीड़िता के पति को भेजा।

पीड़िता के अधिवक्ता ने दलील दिया कि उसका पति से विवाद होने के कारण वह झूंसी मायके में रह रही थी और झूंसी के अनवर मार्केट में स्थित पुरुषोत्तम पैथोलॉजी के मालिक विनोद मिश्रा के यहां नौकरी कर रही थी। कहा गया कि उसे पहले बहला फुसलाकर प्यार का नाम देकर पति से तलाक करने की बात कहते हुए जबरन शारीरिक संबंध बनाए व अपने मित्र जिला प्रोबेशन अधिकारी के यहां ले जाकर पति को नोटिस भेजवाया। बेटा की बीमारी व हालात सही न होने के कारण पीड़िता उत्पीड़न सहती रही।

विनोद मिश्रा हिडन कैमरे से वीडियो और फोटो बनाकर ब्लैकमेल कर जबरदस्ती ड्रिंक करने को कहते थे। मना करने पर पति व परिवार वालों को वीडियो भेजने की धमकी देते थे। जब पीड़िता ने नौकरी करने से मना किया तो पीड़िता के गाड़ी में जीपीएस लगाकर पीछा करता रहता था और ब्लैकमेल कर शारीरिक शोषण करता। पीड़िता ने जनवरी 2025 में 1090 पर शिकायत किया था।

विनोद मिश्रा ने अपने मोबाइल से पीड़िता के पति के मोबाइल पर आपत्ति जनक अश्लील वीडियो भेज कर पीड़िता का घर बर्बाद कर दिया और लगातार ब्लैकमेल करता रहा। जिस पर हाइकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए केस डायरी का अवलोकन में पाया कि विवेचना अधिकारी द्वारा जांच ठीक से नहीं की गई क्योंकि उसमें अश्लील वीडियो बनाने और प्रसारित करने के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण की बरामदगी के बारे में कुछ भी नहीं बताया। याचिका की अगली अगली सुनवाई 20 नवम्बर को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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