
हरिद्वार, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जिनेवा स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित वैश्विक नैतिकता मंच-2025 का आयोजन हुआ। इसके उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या को शामिल हुए। उत्तरदायी शासन का पुनर्निर्माण दुविधाओं, शक्ति और उद्देश्य का समाधान’ विषय पर केंद्रित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
शांतिकुंज की रिलीज के अनुसार उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने भारत की सनातन परंपरा पर आधारित शासन और नेतृत्व की उस अवधारणा को प्रस्तुत किया, जिसमें नीति और अध्यात्म, सत्ता और संवेदना एक-दूसरे के पूरक हैं। युवा आइकॉन ने कहा कि सच्चा शासन संसदों में नहीं, मानव-हृदयों में जन्म लेता है। जब नेतृत्व मूल्यों से संचालित होता है, तभी नीतियां समाज को शांति के पथ पर ले जाती हैं। शासन की हर दिशा में अध्यात्म और नैतिकता का समावेश आवश्यक है, तभी मानवता की दिशा सुधरेगी।
उन्होंने कहा कि नैतिकता और आध्यात्मिक चेतना ही शासन को जनकल्याण का माध्यम बनाती है और यही विश्व-शांति की नींव है। देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. पण्ड्या ने गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि आधुनिक युग की सबसे बड़ी समस्या तकनीकी नहीं, बल्कि नैतिक है। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम-सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है, के संदेश को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में मानवता के लिए सबसे प्रभावी समाधान बताया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के वरिष्ठ प्रतिनिधि ने वर्ष 2026 में होने वाले माता भगवती देवी शर्मा एवं दिव्य अखंड दीप के शताब्दी समारोह का भी उल्लेख किया और इसे वैश्विक एकता, आत्मपरिवर्तन और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का आह्वान बताया। डॉ. पण्ड्या के ओजस्वी वक्तव्य को सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने गहराई से सुना और उनके विचारों की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया।
इस दौरान ग्लोबएथिक्स के अध्यक्ष डॉ. डिट्रिच वर्नर, कार्यकारी निदेशक फादी दाऊ, उपाध्यक्ष एवं शैक्षणिक समिति की अध्यक्ष प्रो. दिव्या सिंह, डॉ. डिकी सोफजान, स्विट्जरलैंड के कोरिन मोमल-वेनियन, माइकल वीनर, स्पेन के कार्लोस अल्वारेज पेरेरा,सारा मार्किविज, अंडा फिलिप निदेशक-सदस्य संसद एवं बाह्य संबंध, जर्मनी की टेरेसा बर्गमैन, यूनाइटेड किंगडम के एलिसन हिलियर्ड, ग्लोबएथिक्स एवं यूनेस्को संस्थान बोर्ड के सदस्य आशा सिंह कंवर आदि सहित अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों के प्रतिनिधि शामिल रहे। सभी ने माना कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक विचार है, जो समस्त मानवता को एक परिवार के रूप में देखने की दृष्टि प्रदान करता है।
वहीं इस अवसर पर डॉ चिन्मय पण्ड्या ने सम्मेलन के विशिष्ट अतिथियों एवं प्रतिनिधियों को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज का प्रतीक चिह्न सहित युगसाहित्य आदि भेंट किया।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
