Uttar Pradesh

अखंड सौभाग्य के लिए वाराणसी में सुहागिन महिलाओं ने रखा करवा चौथ का व्रत

फोटो प्रतीक

—-सोलह शृंगार कर शाम को पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन

वाराणसी, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी)में सुहागिन महिलाओं ने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि करवा चौथ पर शुक्रवार को अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा है। शाम को मां गौरी के साथ भगवान गणेशजी की विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगी। इसके बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद चलनी से पतिदेव का दर्शन कर पानी पीकर व्रत का समापन करेंगी। शहर में कई स्थानों पर और सामाजिक संस्थाओं में करवाचौथ का भी आयोजन किया गया है। इसके पहले भोर में व्रती महिलाओं ने सरगी निगल कर व्रत की शुरुआत की। घरों में एक दिन पहले ही साफ-सफाई के साथ पूजन सामग्री, फल, नये वस्त्र रंग बिरंगी चटक सूर्ख रंग की डिजाइनदार साड़ियां व सलवार सूट की खरीददारी की गई। महिलाओं ने घर में महावर रचाया तो कुछ ने ब्यूटी पार्लरों का भी सहारा लिया। जगतगंज की नवविवाहिता कंचन श्रीवास्तव, संगीता चौबे ने बताया कि सासू मां की देखरेख में त्यौहार पर व्रत रखा है। उनके देखरेख में पूजा अर्चना और अन्य रस्मों को शाम को सम्पन्न करना है। व्रत रखने पर असीम शांति की अनुभूति हो रही है। व्रत में पति और अन्य परिजनों ने भी सहयोग किया। जगतगंज की ही आभा पांडेय, गीता अस्थाना ने बताया कि अखंड सुहाग की कामना को लेकर व्रत रखा है। पूरे दिन निर्जला व्रत रहने के बाद शाम को चन्द्रदेव को अध्र्य देकर व्रत का पारण करना है। बताया कि पिछले 10-12 सालों से करवा चौथ का व्रत रख रही है।

गौरतलब हो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो गई। उदया तिथि के मान के चलते शुक्रवार को पर्व मनाया जा रहा है। पर्व पर सुहागन स्त्रियां अपनी पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। निर्जला उपवास कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है। शाम को 16 श्रृंगार रचाकर व्रती महिलाएं मां गौरी पार्वती, भगवान शंकर, गणेश व कार्तिकेय को पुष्प, अक्षत, दीप आदि अर्पित करके करवा चौथ कथा का पाठ करती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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