
डाॅ. ज्योति सिंह को मिला “सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति” पर पुरस्कार
वाराणसी, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के शोधकर्ताओं ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है। अल-फ़ाराबी कज़ाख़ नेशनल यूनिवर्सिटी, अल्माटी (कज़ाख़स्तान) में 6 से 8 अक्टूबर, 2025 तक आयोजित “पर्यावरणीय स्थिरता: नवाचार, चुनौतियां और समाधान” सम्मेलन में संस्थान के दो शोधकर्ताओं ने अपने अभिनव शोध प्रस्तुत किए। य़ह जानकारी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क कार्यालय ने गुरुवार को दी। बताया गया कि
संस्थान की शोध सहायक डाॅ. ज्योति सिंह ने अपने शोध “भिंडी में लवणता-प्रेरित तनाव से निपटने के लिए हैलोटॉलरेंट पीजीपीआर के माध्यम से धारणीय कृषि पद्धतियां” पर प्रस्तुति दी। शोध सहायक ज्योति सिंह के अनुसार भारत के अनेक क्षेत्रों में मृदा लवणता कृषि उत्पादकता के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है।
उनके अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि हैलोटॉलरेंट पादप-वृद्धि प्रोत्साहक राइजोबैक्टीरिया का प्रयोग एक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल समाधान हो सकता है, जो मृदा स्वास्थ्य सुधारने, पौधों की सहनशीलता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है। उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए उन्हें “सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
वहीं, संस्थान के ही शोधार्थी हिमांशु पाठक ने “नदी के जल से सिंचाई का मृदा स्वास्थ्य और पादप जैव रसायन पर प्रभाव: इंडो-गैंगेटिक मैदानी क्षेत्र का एक अध्ययन” विषय पर शोध प्रस्तुत किया। उनके अध्ययन से यह पता चला कि नदी के जल से सिंचाई करने पर मृदा के भौतिक-रासायनिक गुणधर्म, एंजाइम गतिविधियों और पालक जैसी फसलों की जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह शोध धारणीय जल प्रबंधन, मृदा स्थिरता और खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ।
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार दोनों शोधकर्ताओं की यह अंतरराष्ट्रीय सहभागिता न केवल गर्व का विषय है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विश्वविद्यालय धारणीय कृषि और पर्यावरणीय अनुसंधान के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त पहचान बना रहा है।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
