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हिसार : महर्षि वाल्मीकि ने भारतीय काव्य परंपरा की नींव रखी : प्रो. राकेश बहमनी

आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के जीवन दर्शन पर हुई विचारगोष्ठी में उपस्थित अतिथिगण एवं प्रतिभागी।

भारतीय संस्कृति के आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के जीवन दर्शन पर हुई विचार गोष्ठीहिसार, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के गुरु जंभेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ‘भारतीय संस्कृति के आदिकवि : महर्षि वाल्मीकि’ विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरु जंभेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष प्रो. किशनाराम बिश्नोई ने की। मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार बहमनी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रो. अरुणेश कुमार, शिक्षा संकाय की अधिष्ठाता प्रो. वंदना पूनिया एवं दीपक कुमार उपस्थित रहे।मुख्य अतिथि प्रो. राकेश कुमार बहमनी ने गुरुवार काे कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भारतीय काव्य परंपरा की नींव रखी। उनका साहित्य सत्य, करुणा और धर्म के समन्वय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की काव्य चेतना आज भी समाज को सत्य और सदाचार के मार्ग पर प्रेरित करती है।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. किशनाराम बिश्नोई ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का जीवन यह सिखाता है कि साधारण मानव भी साधना, तप और ज्ञान के माध्यम से युगप्रवर्तक बन सकता है। उन्होंने कहा कि रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं, बल्कि मानव मूल्यों, नैतिकता और आदर्श जीवन का दर्पण है।गोष्ठी में संस्कृत स्नातकोत्तर की छात्राओं मनीषा, रेनू व रिंकु ने महर्षि वाल्मीकि के कृतित्व और विचारों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. गीतू, प्रभारी, हिन्दी विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. शर्मिला, डॉ. कल्पना, डॉ. रामस्वरूप, डॉ. इंदुबाला सहित धार्मिक अध्ययन संस्थान एवं हिन्दी विभाग के संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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