
प्रयागराज, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिना अनुमति ग्राहक के खाते से 12,000 रूपये दूसरे के खाते में स्थानांतरित कर वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप में पंजाब नेशनल बैंक अनूपशहर के हेड कैशियर की बर्खास्तगी आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और आदेश की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा रिट याचिका की अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल विभागीय जांच कार्यवाही के खिलाफ अपीलीय अधिकारी के तौर पर नहीं किया जा सकता। कोर्ट असंगत साक्ष्य पर दोषी करार देने की स्थिति में ही हस्तक्षेप कर सकती है।
कोर्ट ने बैंक की कार्यवाही को सही माना और बर्खास्तगी आदेश को रद्द करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने देवेंद्र कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है।
मालूम हो कि, 1988 में याची की नियुक्ति सीधी भर्ती में न्यू बैंक आफ इंडिया फरीदकोट में की गई थी। 1993 में न्यू बैंक आफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय हो गया। याची अनूपशहर शाखा में हेड कैशियर के पद कार्यरत था। 9 मार्च 12 को मोबिन खान ने चीफ मैनेजर को शिकायत की कि याची ने उसके खाते से 12,000 रूपये स्थानांतरित कर दिया। ऐसी अनुमति किसी भी रूप में उसके द्वारा नहीं दी गई थी। खाते से पैसे निकालने का मैसेज आया है। इसलिए गलती से निकाले गये पैसे वापस किए जाय।
याची के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई। चार्जशीट का जवाब दिया गया। जांच अधिकारी ने गवाहों के बयानों व साक्ष्यों के आधार पर याची के खिलाफ रिपोर्ट दी। जिस पर याची को कारण बताओ नोटिस दी गई। व्यक्तिगत सुनवाई की गई। 20 मई 13 को याची को बर्खास्त कर दिया गया। इसके खिलाफ विभागीय अपील भी खारिज हो गई तो दोनों आदेशों की याचिका में चुनौती दी गई थी।
याची का कहना था कि उसने पैसे वापस कर दिया है। यदि गलती हुई भी है तो वह अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। शिकायतकर्ता ने उससे लोन लिया था। उसी की वापसी मांगी तो उसने बाउचर भरकर दिया और पैसा चपरासी के खाते में स्थानांतरित किया गया। छोटी गलती है तो छोटा दंड दिया जाना चाहिए, बर्खास्त करना बड़ा दंड है। अपराध के अनुपात में अधिक बड़ा दंड है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
