
रांची, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजधानी रांची स्थित सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला स्कूल और उसके छात्रावास की दयनीय स्थिति पर स्वतः संज्ञान और एक अन्य मामला जिसमें एंबुलेंस नहीं मिली, तो बीमार पत्नी को कंधे पर उठाकर पैदल निकल गया पर कोर्ट के स्वतः संज्ञान की सुनवाई बुधवार को उच्च न्यायालय में हुई।
दोनों मामलों में कोर्ट में राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला स्कूल और उसके छात्रावास की दयनीय स्थिति मामले में कोर्ट ने तीन नवंबर की तिथि निर्धारित की है। वहीं एंबुलेंस नहीं मिली, तो बीमार पत्नी को कंधे पर उठा कर पैदल निकल गया बुजुर्ग मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर निर्धारित की है। मामले में सरकार की ओर से अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने पक्ष रखा।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने समाचार पत्र में छपी खबर को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए उक्त दोनों मामलों को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था।
छात्रावास की स्थिति बद से बदतर पर छपी थी खबर
रांची के स्थानीय समाचार पत्र में बताया गया था कि सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (जिला स्कूल) भवन के जीरर्णोद्धार और छात्रावास की स्थिति बद से बदतर हो गयी है। स्कूल भवन के जीर्णोद्धार की फाइल फंसी हुई है। वहीं छात्रावास की स्थिति काफी बदतर हो गयी है। 100 बच्चे खस्ताहाल इमारत में रहकर रोज खतरे का सामना कर रहे हैं। छात्रावास की दीवारों से लगातार पानी रिसता रहता है। नमी और गंदगी के कारण दीवारें बदरंग हो चुकी हैं। कई कमरों की छत डैमेज हो चुकी है।
कई कमरों की छत डैमेज हो चुकी है और जगह-जगह से प्लास्टर झड़ रहे हैं। हाल यह है कि बच्चों को छत गिरने का डर सताता रहता है।
वहीं हाइकोर्ट ने एक दूसरे मामले में एक अन्य समाचार पत्र के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया था। समाचार पत्रों में छपी एंबुलेंस नहीं मिली, तो बीमार पत्नी को कंधे पर उठा कर पैदल निकल गया सबर, खबर को गंभीरता से लिया।
समाचार पत्र में बताया गया था कि पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवा खुद बीमार है। धालभूम सीएचसी में बीमार सबर महिला को एंबुलेंस नहीं मिली, तो उसके पति ने कंधे पर उठा कर पैदल ही चल पड़ा। बीमार महिला को डॉक्टर ने एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर रेफर किया था।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
