
लखनऊ, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जब इंदिरा गांधी 1971 में चुनाव जीतकर आईं, तब लगातार देश में एक मूवमेंट खड़ा हुआ था। ऐसे में सरकार के अंदर घबराहट हुई कि विद्यार्थी अपनी बात कर रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ़ पूरे देश में आवाज़ उठ रही है। धीरे धीरे वो सरकार के कानों तक आवाज पहुंचने लगी। लेकिन जब 12 जून, 1975 में न्यायालय का एक फैसला आता है कि इंदिरा गांधी ने साधनों का दुरुपयोग करके और भ्रष्टाचार के आधार पर चुनाव को जीता है तो केवल और केवल अपनी सत्ता बचाने के लिए पूरे देश इमरजेंसी थोप दी जाती है। यह बातें उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे सुरेश राणा ने कहीं।
पूर्व मंत्री राणा बुधवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में (Udaipur Kiran) के ‘इमरजेंसी के 50 साल’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इंदिरा ने केवल अपनी कुर्सी के लिए एक ऐसा देश, जिस देश की आजादी प्राप्त करने के लिए अनेकों नौजवानों ने फांसी के फंदे को चूम लिया। ऐसे देश की आज़ादी को आप सत्ता की लोलुपता में इस हद तक चले गए? आपने इस आपातकाल को देश के ऊपर थोप दिया।
उस समय टेलीविज़न नहीं था, लेकिन आपने रात में कोई निर्णय नहीं दिया। सुबह जैसे ही लोगों ने आकाशवाणी, बीबीसी के माध्यम से जानकारी मिली कि देश में आपातकाल लागू हो गया है। सुरेश राणा ने आपातकाल की उस खड़ी पर एक शायरी बोलते हुए बयां किया। उन्होंने कहा कि शायद उसी समय किसी कमी में लिखा गया होगा कि ‘खून जितना था बहाया वतन के वास्ते, एक कतरा भी ना रखा अपने तन के वास्ते, यूं तो दुनिया में मरते हैं बहुत पर, मौत वो है जो है वतन के वास्ते।’
पूर्व मंत्री ने कहा कि उसी में आशा की एक किरण भी थी कि इस उद्देश्य ने कभी भी तानाशाहों के सामने छुपना नहीं सीखा, कभी झुकना नहीं सीखा। उन्होंने सभागार में उपस्थित लोगों को बताया कि सोचिए उस वक्त कितनी कठिन परिस्थिति रही होगी। ना टीवी है ना कोई अन्य माध्यम है, कैसे समाचार एक दूसरे के पास भेजना संभव होगा। उस दौर में एक दूसरे के समाचार का आदान प्रदान नहीं कर सकते थे। ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां सुनवाई हो सके। यहां तक की कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं थी।
उन दिनों की परिस्थितियों और लोकतंत्र को मजबूत करने वालों के बारे में जानने के लिए हमारी जो युवा पीढ़ी है, हमारे युवा लोग हैं, युवा हमारे छात्र नेताओं उस पीढ़ी तक के विषय में जानना चाहिए। ये कैसे लोकतंत्र का हनन करने का काम किया? मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, चाहे जेपी हो, चाहे हमारे नेताज हो। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, राजनारायण आदि का जिन्होंने उस समय संघर्ष का बिगुल बजाया और देश के अंदर ऐसा मूवमेंट खड़ा किया कि एक मत कर तानाशाह सरकार को झुकाने का काम कर दिया। आज भी बहुत सारे लोग छोटी सी किताब लेकर के जेब में घूमते है और संविधान दिखाते हैं।
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(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा
