Jammu & Kashmir

शीतल नंदा ने वन क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की

श्रीनगर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण आयुक्त सचिव शीतल नंदा ने आज केंद्र शासित प्रदेश में वन एवं संबद्ध क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में पूंजीगत व्यय प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण केंद्र प्रायोजित योजनाओं और हरित भारत मिशन सहित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पहलों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

विस्तृत समीक्षा के दौरान, विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए जिलावार भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धियों सहित कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही, केंद्र प्रायोजित योजनाओं/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त धनराशि, व्यय और प्रस्तुत उपयोगिता प्रमाणपत्रों पर भी चर्चा की गई।

उन्होंने वर्ष 2025-26 के लिए स्वीकृत वार्षिक परिचालन योजना (एपीओ) और प्राप्त धनराशि की समीक्षा की, साथ ही यूटी कैपेक्स बजट (2025-26) के अंतर्गत कार्य-वार भौतिक और वित्तीय प्रगति की भी समीक्षा की। वर्ष 2025-26 के लिए बजट घोषणाओं की अद्यतन प्रगति पर भी चर्चा की गई। राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं की नवीनतम स्थिति की भी समीक्षा की गई।

आयुक्त सचिव ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया कि सभी योजनाओं, विशेष रूप से केंद्र प्रायोजित योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी ईमानदारी से किया जाए।

उन्होंने जिलों में वृक्षारोपण अभियान को तेज करने और विशेष रूप से कैपेक्स बजट के अंतर्गत वित्तीय बुकिंग में तेजी लाने पर जोर दिया।

आयुक्त सचिव ने सभी विभागीय परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन और गुणवत्तापूर्ण वितरण के लिए सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने वन विभाग के अंतर्गत विभिन्न विभागों को निर्देश दिया कि वे दिसंबर 2025 तक बुनियादी ढांचे के उन्नयन, वनरोपण और अन्य संरक्षण प्रयासों सहित सभी नियोजित कार्यों का कम से कम 70% पूरा करना सुनिश्चित करें।

आयुक्त सचिव ने निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश के समशीतोष्ण क्षेत्रों में शीतकालीन वृक्षारोपण गतिविधियाँ तुरंत शुरू होनी चाहिए।

उन्होंने रेखांकित किया कि यह पहल क्षरित वन क्षेत्रों, शहरी हरित क्षेत्रों और सामुदायिक भूमि को कवर करेगी।

कार्यान्वयन एजेंसियों से आग्रह किया गया कि वे वन भूमि सीमांकन के लिए सीमा स्तंभों (बीपी) की स्थापना में तुरंत तेजी लाएँ, साथ ही पूरे केंद्र शासित प्रदेश में आर्द्रभूमि में भी, ताकि वन सीमाओं की कानूनी सुरक्षा और स्पष्टता सुनिश्चित की जा सके।

स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने में इकोटूरिज्म की क्षमता को स्वीकार करते हुए, आयुक्त सचिव ने निर्देश दिया कि सभी लंबित नगर वन (शहरी वन) परियोजनाओं को दिसंबर 2025 तक अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और चालू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में सुलभ हरित स्थान बनाना, सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देना और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना है।

आयुक्त सचिव ने अंतर-विभागीय समन्वय और सक्रिय क्षेत्र-स्तरीय कार्यान्वयन को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विभागों को पारदर्शिता बनाए रखने, आधुनिक निगरानी उपकरण अपनाने और वृक्षारोपण एवं संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।

आयुक्त सचिव ने समुदाय संचालित वानिकी पहलों के माध्यम से पारिस्थितिक संरक्षण, सतत विकास और जलवायु लचीलापन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

बैठक में सुरेश कुमार गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक ) और वन बल प्रमुख ); सर्वेश राय, मुख्य वन्यजीव वार्डन, जम्मू-कश्मीर; वासु यादव, अध्यक्ष प्रदूषण नियंत्रण समिति; संदीप कुजूर, निदेशक सामाजिक वानिकी जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ दोनों क्षेत्रों के सभी मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ), निदेशक वित्त (वन), वन संरक्षक क्षेत्रीय निदेशक (आरडी), और प्रभागीय वन अधिकारी उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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