Haryana

गुरुग्राम में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर लगी पाबंदी

-सुरक्षित उपयोग और बिना प्रिस्क्रिप्शन बिक्री पर पाबंदी

-कोल्ड्रिफ कफ सिरप में पाया गया विषैला डायथिलीन ग्लाइकॉल

-स्वास्थ विभाग ने कफ सिरप को लेकर जारी की एडवाइजरी

गुरुग्राम, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । बच्चों में खांसी की दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष एडवाइजरी जारी की गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अल्का सिंह की ओर से बुधवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि यह कदम स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया दिशा-निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है, जिसमें खांसी की दवाओं के असुरक्षित और अनियंत्रित उपयोग पर चिंता जताई गई थी।

डीईजी एक विषाक्त रासायनिक तत्व है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। तमिलनाडु के कांचिपुरम में निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। इसके मद्देनजर गुरुग्राम जिले में इस सिरप की बिक्री और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। साथ ही सभी रिटेल स्टोर, डिस्ट्रिब्यूटर और स्वास्थ्य केंद्रों से इस दवा का बचा हुआ स्टॉक जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं। सिविल सर्जन की ओर से चिकित्सकों को जारी एडवाइजरी में निर्देश दिया गया है कि बच्चों में खांसी के लिए सिरप का अनावश्यक उपयोग न किया जाए, क्योंकि अधिकांश खांसी स्वत: ठीक हो जाती है। साथ ही संयोजन दवाओं (कॉम्बिनेशन ड्रग्स) और अनियंत्रित मिश्रणों के उपयोग से बचने की सलाह दी गई है। किसी भी असामान्य दवा प्रतिक्रिया या स्वास्थ्य समस्या होने पर तुरंत संबंधित प्राधिकरण को सूचित करने का निर्देश है। इसके अतिरिक्त, फार्मासिस्टों को बिना वैध प्रिस्क्रिप्शन के खांसी की दवाएं बेचने के लिए मना किया गया है।

सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों को इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) और इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) के माध्यम से इन्फ्लूएंजा जैसे रोग (आईएलई), गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण और दवाओं से संबंधित असामान्य घटनाओं की समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

एडवाइजरी में माता-पिता और देखभालकर्ताओं से अपील की गई है कि बच्चों में होने वाली अधिकांश खांसी के लिए सिरप की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये स्वत: ठीक हो सकती हैं। साथ ही, किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले पंजीकृत चिकित्सक से परामर्श लेना अनिवार्य है। सीएमओ ने स्पष्ट किया कि जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और दवा नियंत्रण अधिकारी इस एडवाइजरी के कड़ाई से अनुपालन को सुनिश्चित करेंगे। किसी भी संदिग्ध दवा-संबंधी घटना या उल्लंघन की तत्काल सूचना राज्य निगरानी इकाई और राज्य दवा नियंत्रक को दी जाएगी। इसके अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (आइपीए) के साथ बैठकें आयोजित कर सहयोग को मजबूत किया जाएगा। नागरिक और स्वास्थ्य अधिकारी अधिक जानकारी और दिशा-निर्देशों के लिए वेबसाइट पर जा सकते हैं या ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।

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(Udaipur Kiran)

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