
नई दिल्ली, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई की टीम को प्रसार भारती, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो की ओर से टीम इंडिया या भारतीय टीम इंडिया कहने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता और वकील रीपक कंसल को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कोर्ट का वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई द्वारा आयोजित क्रिकेट मैचों और सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती की ओर से उनके प्रसारण के दौरान राष्ट्रीय झंडे या देश के नाम का इस्तेमाल करना किसी कानून का उल्लंघन नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आज कोई भी निजी व्यक्ति देश का झंडा फहरा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अगर आप अपने घर पर राष्ट्रीय झंडा फहराते हैं तो कोई आपको रोकता है। इसमें कानून का कहां उल्लंघन होता है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई की टीम हर जगह जाती है और भारत का प्रतिनिधित्व करती है और आप कह रहे हैं कि वे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
कंसल ने याचिका दायर कर कहा था कि बीसीसीआई एक निजी निकाय है और ये तमिलनाडु सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड किया गया है। ऐसे में बीसीसीआई की टीम को सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती की ओर टीम इंडिया कहना इसे आधिकारिक राष्ट्रीय दर्जा देने की तरह है। ऐसा करना बीसीसीआई को वाणिज्यिक तौर पर बेजा फायदा पहुंचाने जैसा है।
याचिका में कहा गया था कि बीसीसीआई अपने समारोहों और इवेंट में राष्ट्रीय झंडा और ‘इंडिया’ नाम का इस्तेमाल करती है। ऐसा करना एम्बलेम एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट और फ्लैग कोड ऑफ इंडिया का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि किसी निजी निकाय द्वारा बिना किसी वैधानिक अर्हता या नोटिफिकेशन के मनमाने तरीके से इस्तेमाल करना निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
