
जोधपुर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पीजीआईए के स्नातकोत्तर क्रिया शरीर विभाग द्वारा संचालित एक माह का सेमी-ऑनलाइन नाड़ी परीक्षण प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (2025-26) के अंतर्गत प्रायोगिक कर्माभ्यास का आयोजन किया जा रहा है।
इस प्रायोगिक कर्माभ्यास के अंतर्गत पूर्व कुलपति प्रोफेसर वैद्य बनवारी लाल गौड़ ने आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित नाडी परीक्षा से संबंधित उद्धरणों के परिप्रेक्ष्य में प्रायोगिक कर्माभ्यास के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया। साथ ही शास्त्र में वर्णित उद्धरणों को युगानुरूप संदर्भ में समझाया।
उन्होंने बताया कि वात, पित्त, कफ आदि दोष, रस, रक्त आदि धातु एवं पुरीष, मूत्र आदि मलों के स्थान, प्रमाण सहित क्षय, वृद्धि आदि का ज्ञान नाडी परीक्षा ज्ञान में सहायक सिद्ध होते है। आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित हृदय की रचनात्मक एवं क्रियात्मक भाव को समझना भी आवश्यक है। दोषों के प्राकृत एवं विकृत लक्षणों के ज्ञान से चिकित्सा में सफलता प्राप्त की जा सकती है एवं नाडी ज्ञान में निपुणता हासिल की जा सकती है।
कार्यक्रम के अंत में पूर्व कुलसचिव विभागाध्यक्ष रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना एवं विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला, स्नातकोत्तर क्रिया शारीर विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चंद्र शर्मा ने प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर स्त्री एवं प्रसूति तंत्र विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर नीलम रेड्डी, प्रोफेसर राजेश कुमार गुप्ता, स्वस्थ वृत्त विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर ब्रह्मानंद शर्मा, डॉ अरुण दाधीच, डॉ राजीव सोनी, डॉ पूजा पारीक, डॉ मनीष कुमार यादव सहित संकाय सदस्य, स्नातकोत्तर अध्यता एवं विभिन्न प्रांतो से प्रशिक्षण के लिए आए हुए प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / सतीश
