
जोधपुर, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महिला की मौत के ठीक एक दिन पहले युवक को गोद लेने और बाद में उसे अनुकंपा नियुक्ति पर आपत्ति वाली राजस्थान सरकार की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस विनित कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने बीकानेर गंगाशहर के महेश सुथार के पक्ष में फैसला देते हुए उसे अनुकंपा नियुक्ति देने के संबंध में एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा है। इससे पहले बीकानेर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी किया गया था।
मामला बीकानेर की विनायक कॉलोनी, प्रह्लादजी की बाड़ी, सुजानदेशर, गंगाशहर निवासी मुकेश सुथार का है। मुकेश को 29 जून 2009 को गोद लिया गया था। इसके ठीक अगले ही दिन 30 जून 2009 को उसे गोद लेने वाली मां की मौत को हो गई। उसे गोद लेने वाले पिता धन्नाराम एक सरकारी कर्मचारी थे, जो पीएचईडी में कार्यरत थे। मुकेश ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, जिसे सिंगल बेंच ने 6 मई 2023 को स्वीकार कर लिया और विभाग को 31 जुलाई 2024 तक उसे नियुक्ति देने का आदेश दिया था।
सरकार ने उठाया गोदनामा पर सवाल
राज्य सरकार ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर की। इसमें अतिरिक्त महाधिवक्ता सज्जनसिंह राठौड़ ने तर्क दिया कि मुकेश का दत्तक ग्रहण संदिग्ध है, क्योंकि गोद लेने का विलेख मुकेश की मां की मृत्यु से मात्र एक दिन पहले यानी 29 जून 2009 को निष्पादित किया गया था। उन्होंने कहा कि केवल इसी आधार पर मुकेश अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है। इसलिए 6 मई 2023 के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि दत्तक विलेख तब निष्पादित किया गया, जब मुकेश 15 वर्ष की आयु पार कर चुका था। इसलिए इसे वैध दत्तक ग्रहण नहीं माना जा सकता।
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने मानी थी दत्तक की वैधता
खंडपीठ ने कोर्ट में किए गए तर्कों पर विचार किया और रिकॉर्ड में उपलब्ध प्रासंगिक सामग्री का अध्ययन किया। कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त महाधिवक्ता का यह तर्क कि दत्तक विलेख संदिग्ध है, मूल रूप से निराधार है, क्योंकि मुकेश ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था और उन कार्यवाहियों में अपीलकर्ता भी पक्षकार-प्रतिवादी थे। हाईकोर्ट ने कहा कि जिला जज बीकानेर की अदालत ने मुद्दों को तैयार करने के बाद अपने 29 सितंबर 2012 के निर्णय के माध्यम से आवेदन को स्वीकार कर लिया था। उसमें वर्तमान प्रतिवादी के दत्तक ग्रहण को कानून के अनुसार वैध पाया गया था। जिला जज बीकानेर द्वारा पारित 29 फरवरी 2012 के निर्णय को चुनौती नहीं दी गई है, इसलिए इस न्यायालय के पास यह निष्कर्ष निकालने का कोई कारण नहीं है कि मुकेश का दत्तक ग्रहण कानून के विपरीत था।
(Udaipur Kiran) / सतीश
