
चंबल संग्रहालय परिवार ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
औरैया / इटावा, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । चंबल अंचल में स्वतंत्रता संग्राम की आकाशगंगा के चमकते सितारे, महान क्रांतिकारी जीता चमार के नाम पर पांच नदियों के महासंगम पंचनद पर गौरवशाली स्मारक बनाने की मांग को लेकर चंबल संग्रहालय परिवार ने बुधवार को जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के तौर पर न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश सिंह को ज्ञापन सौंपा।
भरेह रियासत के बंसरी गाँव के निवासी जीता चमार 1857 की सशस्त्र जनक्रांति के अग्रणी योद्धा थे। उन्होंने 1857 से पूर्व ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पंचनद घाटी के बीहड़ों में अपने सशस्त्र दल के साथ संघर्ष का बिगुल बजा दिया था।
चंबल घाटी का नेतृत्व जहाँ उदारता और जनभावना पर आधारित था, वहीं जीता चमार जैसे रणबांकुरों ने अंग्रेजों के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया। उन्होंने पंचनद तट पर अपने साथियों को एकत्र कर देश की आज़ादी के लिए अंतिम सांस तक लड़ने की शपथ दिलाई। यही से जनक्रांति की वह रणनीतिक ज्वाला भड़की जिसने कंपनी सरकार को गहरी चोट पहुँचाई।
उनके नेतृत्व में शेरगढ़, नीमरी, अनंतराम, बीझलपुर, चरखारी, कालपी, कानपुर देहात, चकरनगर और सहसों जैसी जगहों पर क्रांतिकारी छापामार युद्धों में अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी। उन्होंने ब्रिटिश अफसर ए. ओ. ह्यूम जैसी सत्ताओं से लोहा लिया और चंबल घाटी को अपने अदम्य साहस से क्रांति की अग्नि में प्रज्ज्वलित कर दिया।
ब्रिटिश शासन ने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए लालच और माफी की पेशकश की, किंतु जीता चमार ने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने अंत तक औपनिवेशिक सत्ता के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का संकल्प निभाया। पंचनद का जर्रा-जर्रा आज भी उनके रक्त और बलिदान की गवाही देता है।
स्वतंत्र भारत में अनेक सरकारें आईं और चली गईं, यहाँ तक कि इटावा से चार बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद इस महान क्रांतिनायक की स्मृति को संरक्षित करने का कार्य आज तक नहीं हुआ। आज़ादी के अमृतकाल में यदि इस गुमनाम नायक को न्याय नहीं मिला तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि चंबल अंचल के स्वतंत्रता संग्राम का उत्खनन करने पर 1857 के अडिग योद्धा जीता चमार की स्मृतियों को संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने बताया कि संग्रहालय ने अपने स्तर से ‘चंबल क्रिकेट लीग’ में मैन ऑफ द मैच सीरीज ट्रॉफी जीता चमार की स्मृति में समर्पित की, साथ ही 151 फीट के राष्ट्रीय ध्वज से सलामी, पंचनद दीप महापर्व, चंबल जनसंसद और मशाल सलामी जैसे आयोजनों के माध्यम से इस महानायक की गाथा को जीवित रखने का प्रयास किया गया है।
डॉ. राना ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर जीता चमार के नाम पर पंचनद तट पर एक भव्य, जीवंत और गौरवशाली स्मारक का निर्माण करें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने क्रांतिकारी पुरखों के साहस और बलिदान पर गर्व कर सकें।
मांग-पत्र सौंपने वालों में चन्द्रोदय सिंह चौहान, हरविलास सिंह दोहरे एडवोकेट, विद्याराम भारती एडवोकेट, कैलाश बाबू एडवोकेट, डॉ. शाह आलम राणा आदि प्रमुख लोग शामिल रहे।
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(Udaipur Kiran) कुमार
