
ज्योतिर्मठ, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । सीमांत धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ के पर्यटन व्यवसाय को पुनः पटरी पर लाना किसी चुनौती से कम नहीं है, जोशीमठ भू-धसाव आपदा जनवरी 2023के बाद से जोशीमठ की पर्यटन गतिविधियों की रफ्तार कम होने का सिलसिला शुरू हुआ जो वर्ष दर वर्ष कम होता चला गया, ऐसे मे अब जोशीमठ के पर्यटन व्यवसाय कैसे उबारा जाय यह एक गंभीर प्रश्न बनता जा रहा है।
सीमांत नगर ज्योतिर्मठ न केवल अपनी धार्मिक एवं ऐतिहासिक मान्यताओं को संजोए हुए है बल्कि श्री बद्रीनाथ धाम, श्री हेमकुण्ड साहिब -लोकपाल, विश्व विख्यात हिमक्रीड़ा केन्द्र औली, क्वाँरी पास -गोरसौं बुग्याल, भविष्य बद्री,फूलों की घाटी, नीती-माणा व उर्गम घाटी का मुख्य पड़ाव भी है।
भू-धसाव आपदा से पूर्व यहाँ धार्मिक के साथ साथ विभिन्न प्रकार की पर्यटन गतिविधियां भी गुलजार थी और सैकड़ो युवा व पर्यटन व्यवसायी पर्यटन के माध्यम से न केवल स्वयं बल्कि अन्य लोगों को भी स्वरोजगार से जोड़े हुए थे, लेकिन भू धसाव आपदा के विश्व व्यापी प्रचार ने जोशीमठ के पर्यटन व्यवसाय को गहरी चोट पहुंचाई है।
आज स्थिति यह हो गई है कि पर्यटक व तीर्थंयात्री जोशीमठ मे रुकना ही नहीं चाहता है, जोशीमठ के बाजार की भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है, जोशीमठ का यह हाल तो अभी है लेकिन जब जोशीमठ को अलग थलग कर निर्माणाधीन हेलंग बाई पास मार्ग शुरू होगा तब जोशीमठ नगर के धार्मिक एवं पर्यटन व्यवसाय का क्या होगा? यह एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।
हेलंग बाई पास शुरू होने से पूर्व जोशीमठ को पुनः किस प्रकार पटरी पर लाया जा सकता है इस पर पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों, व सभी राजनैतिक दलों को गहन मंथन करने की जरुरत है, आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ,भगवान बद्रीविशाल के दर्शनों से पूर्व भगवान श्री नृसिंह के दर्शनों की धार्मिक मान्यता, हिमक्रीड़ा केन्द्र औली, गोरसौं बुग्याल, फूलों की घाटी, विभिन्न ट्रेकिंग रुट्स, नीती-माणा व उर्गम घाटियों के केन्द्र स्थान-मुख्य पड़ाव जोशीमठ के महत्व को देश दुनिया तक पहुँचाकर इस क्षेत्र पुनः पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाया जा सके।
इन सबके के लिए जोशीमठ-औली रोप वे का पुर्ननिर्माण व विस्तार, उड़ान योजना से जोशीमठ को जोड़ना, जोशीमठ नगर के विभिन्न स्थानों पर पार्किंग निर्माण, व जोशीमठ-औली सड़क मार्ग पर पार्किंग निर्माण भी बेहद जरुरी है ताकि पर्यटक व तीर्थयात्री यहाँ से अपने गतंव्य तक आसानी से आवागमन कर सके। अब देखना होगा कि जोशीमठ के भविष्य को लेकर चिंतित दिखने वाले व्यवसायी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, व राजनैतिक दल किस प्रकार जोशीमठ के भविष्य को पटरी पर लाने की कवायद करते हैं, इस पर पर्यटन, तीर्थाटन व्यवसाय के माध्यम से स्वरोजगार का सपना संजोए सैकड़ो युवाओं की नजरें रहेंगी।
(Udaipur Kiran) / प्रकाश कपरुवाण
