Uttar Pradesh

निठारी हत्याकांडः पीड़ितों का छलका दर्द, पंढेर और कोली दोषी नहीं तो आखिर किसने मारा हमारे बच्चों को

निठारी हत्याकांड

गौतमबुद्ध नगर, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । नोएडा का बहुचर्चित निठारी नर कंकाल कांड के पीड़ित लोग उम्मीद की जगह निराशा और लाचारी के माहौल में जी रहे हैं। वर्ष 2006 में हुए दिल दहलाने वाले इस जघन्य कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना ने ऐसा स्वरूप धारण कर लिया कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया तथा तत्कालीन सपा सरकार इस मुद्दे पर घिर गई और वर्ष 2007 का चुनाव समाजवादी पार्टी हार गई।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुख्य आरोपित सुरेंद्र कोली की सजा पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि उनकी सजा को बरकरार रखना इंसाफ का मजाक होगा। इस बयान ने पीड़ित परिवार की बची खुशी उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। नोएडा के जिस कोठी में यह खौफनाक मंजर हुआ था, वह कोठी डी- पांच के बाहर आज घने झाड़ और बेलों ने कब्जा कर लिया है। बंगले में कई बार आग लग चुकी है। आसपास के लोगों ने उसे भूत बंगला का नाम दे रखा है। अब उस वीरान बंगले में कोई रहता नहीं है। दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। ठीक उसी तरह जैसे इस केस की यादें धुंधली पड़ती जा रही है, और इस घटना के पीड़ित भी अब बुड्ढे हो चले हैं। लेकिन उन माता-पिता ने जिन्होंने अपने बच्चों को खोया यह दर्द आज भी उनके लिए ताजा है।

एक 63 साल के पिता हैं जिनकी 10 साल की बेटी वर्ष 2006 में स्कूल से लौटते वक्त लापता हो गई थी। वह निठारी कांड के हैवानों के हाथ लगी और उनकी दरिंदगी की शिकार हो गई। वह बताते हैं कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इंसाफ की लड़ाई में झोंक दी।

पंढेर के घर में नौकर सुरेंद्र कोली पर 13 मामलों में आरोप लगे थे। जबकि मोनिदर सिंह पंढेर पर 6 मामलों में 2006 में बच्चों और लड़कियों के गायब होने का आरोप लगा। डी-5 बंगले के पास हड्डियां और खोपड़ियों को मिलने से इस हत्याकांड का खुलासा हुआ था। नोएडा पुलिस ने 29 दिसम्बर 2006 को कोहली और पंढेर को गिरफ्तार किया था। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने 16 मामलों में चार्जशीट दाखिल की।

कोली के खिलाफ ज्यादातर सबूत उनके कथित बयान पर आधारित है। जो 1 मार्च 2007 को दिल्ली के एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था। कोली अब तक 13 में से 12 मामलों में बरी हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी से संकेत मिलता है कि आखिरी बचे मामले में भी उसकी निचली अदालत द्वारा दी गई सजा पलट सकती है। कोर्ट ने कहा जब एक ही तथ्यों पर अन्य मामलों में उन्हें बरी किया गया है, तो इस सबूत के आधार पर इस मामले में सजा देना गलत नहीं होगा ?

पीड़ित परिवार के लोगों के लिए लंबी कानूनी लड़ाई सिर्फ दर्द और निराशा लेकर आई है। एक पिता जिसके साढ़े 5 साल के बेटे की हत्या हुई थी, कहते हैं अगर कोहली और पंढेर दोषी नहीं है तो फिर हमारे बच्चों का हत्यारा कौन है। हमें कोई जवाब क्यों नहीं देता। निठारी में सिर्फ दो पीड़ित परिवार बचे हैं। बाकी सब गांव छोड़ चुके हैं। एक मां जिन्होंने अपनी बेटी को खोया है वह कहती है कि हर बार उस बंगले के पास से गुजरती हूं तो मेरी बेटी की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। पंढेर की अक्टूबर 2023 में बरी होने की खबर ने पहले ही उनके दिल को तोड़ दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनकी आखिरी उम्मीद है।

वर्ष 2006 का निठारी कांड भारत का सबसे भयावह सीरियल किलिंग मामलों में एक माना जाता है। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 16 अक्टूबर 2023 को कोहली और पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया था। कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सबूत इकट्ठा करने की बुनियादी नियमों का खुलेआम उल्लंघन हुआ। अब सुप्रीम कोर्ट का भी लगभग ऐसा ही रूख है।

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(Udaipur Kiran) / सुरेश चौधरी

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