
भीलवाड़ा, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं असम के राज्यपाल रहे स्वर्गीय शिवचरण माथुर और उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय सुशीला देवी माथुर की मूर्तियों का भव्य अनावरण समारोह बुधवार को भीलवाड़ा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर राजस्थान की कांग्रेस राजनीति के दो बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट एक साथ नजर आए।
कार्यक्रम में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति रही जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.एम. पल्लम राजू, एआईसीसी मीडिया विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा, पूर्व मंत्री बी.डी. कल्ला, पूर्व मंत्री हेमाराम चैधरी, और दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा शामिल थे। समारोह का आयोजन सुशीला देवी कन्या महाविद्यालय परिसर में किया गया, जिसकी स्थापना स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय माणिक्यलाल वर्मा ने की थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सचिन पायलट ने कहा कि आज देश और प्रदेश की राजनीति में नैतिकता का अभाव साफ झलकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था, दल या सरकार तभी सुचारू रूप से चल सकती है जब उसमें मौलिक मूल्य, ईमानदारी और सेवा भाव की भावना कायम रहे। उन्होंने कहा कि सिर्फ भाषण देने या प्रवचन करने से सुधार नहीं आता, सुधार तब आता है जब हम अपने कहने और करने में समानता रखें और अपने आचरण से उदाहरण प्रस्तुत करें।
पायलट ने कहा कि स्व. शिवचरण माथुर का पूरा जीवन जनसेवा के लिए समर्पित रहा। उन्होंने हमेशा आमजन की समस्याओं को समझकर निष्ठा और सादगी के साथ समाधान करने का प्रयास किया। वे हमेशा आम जनता के बीच रहे और जनहित को सर्वोपरि रखा। उन्होंने कहा कि शिवचरण माथुर न केवल राजनीति के एक सजग प्रहरी थे बल्कि महिला शिक्षा और सशक्तीकरण के अग्रदूत भी थे। उनकी धर्मपत्नी स्व. सुशीला देवी माथुर ने समाज सुधार, महिला अधिकारों और स्वावलंबन के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी प्रेरणास्रोत हैं।
पायलट ने कहा कि यदि राजनीति में ऐसे आदर्श और मूल्य फिर से स्थापित किए जाएं तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। उन्होंने शिवचरण माथुर की सादगी, निष्ठा और ईमानदारी को आज के नेताओं के लिए अनुकरणीय बताया।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भावुक होकर कहा कि शिवचरण माथुर के साथ उनके गहरे व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंध रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब माथुर मुख्यमंत्री थे, तब वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनके साथ काम करते थे और उस समय उनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। गहलोत ने कहा कि माथुर जी का जीवन कांग्रेस की विचारधारा, निष्ठा और सेवा के सिद्धांतों का प्रतीक रहा। उन्होंने दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को सुशासन दिया और असम के राज्यपाल के रूप में भी अपने कार्यकाल में उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
गहलोत ने यह भी बताया कि सुशीला देवी कन्या महाविद्यालय के लिए जिस भूमि पर यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, उसका आवंटन उनकी कांग्रेस सरकार के दौरान ही किया गया था। उन्होंने याद किया कि वे स्वयं सुशीला माथुर के साथ यह भूखंड देखने आए थे और आज यह देखकर प्रसन्नता होती है कि यहां एक उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्था खड़ी है जो नारी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
गहलोत ने कहा कि मांडलगढ़ राजकीय महाविद्यालय का नामकरण भी उनके कार्यकाल (2008-2013) में स्व. शिवचरण माथुर के नाम पर किया गया था। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि आज भी ऐसे नेताओं की स्मृति में संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिन्होंने राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया।
उन्होंने स्व. माणिक्यलाल वर्मा, नारायणी देवी, शिवचरण माथुर और सुशीला माथुर को नमन करते हुए कहा कि वे बचपन से ही शेर-ए-राजस्थान जयनारायण व्यास और माणिक्यलाल वर्मा जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के विकास में ऐसे महान लोगों की भूमिका अमूल्य रही है।
कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद सभी अतिथियों ने शिवचरण माथुर और सुशीला देवी माथुर की मूर्तियों पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद
