
जयपुर, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एआरबीएसएम) का 9वां राष्ट्रीय अधिवेशन मंगलवार को भव्यता और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रख्यात वक्ता, राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने “राष्ट्रीय सुरक्षा: सीमा से समाज तक” विषय पर अपना प्रेरक उद्बोधन प्रस्तुत किया।
डॉ. त्रिवेदी ने “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने पड़ोसी देश की सीमाओं में 150 से 300 किलोमीटर अंदर जाकर उनके एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त किया और आतंक के ठिकानों को समाप्त कर दिया। इस अभियान ने भारत की सामरिक क्षमता को विश्व के समक्ष सिद्ध किया।
उन्होंने कहा कि देश और विदेश में सक्रिय एक ऐसा इकोसिस्टम है जो भारत की सफलताओं को धुंधला करने का प्रयास करता है और समाज में प्रांतवाद, भाषावाद, जातिवाद और वर्गभेद जैसी विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देता है। ऐसे समय में आवश्यक है कि हम भारतीय दृष्टिकोण को अपनाएं और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ें।
भारत की ऊर्जा उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि आज देश अपनी कुल ऊर्जा खपत का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से प्राप्त कर रहा है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईसीए) के माध्यम से विश्व नेतृत्व स्थापित किया है। एक करोड़ घरों में सोलर रूफटॉप लगाए जा चुके हैं, रेलवे का लगभग संपूर्ण विद्युतीकरण पूरा हो चुका है, और भारत जल, थल, नभ तीनों क्षेत्रों में आणविक शक्ति से संपन्न हो गया है।
युवाओं को संबोधित करते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि आने वाले समय में 90% नौकरियां लक्ष्य आधारित होंगी। इसलिए युवा वर्ग को सरकारी नौकरियों के पीछे भागने की बजाय एंटरप्रेन्योरशिप और स्टार्टअप्स की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब समय है कि हम मैकाले और मार्क्स की शिक्षा प्रणाली से मुक्त होकर भारतीय जीवन पद्धति को आत्मसात करें।
उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे भारतीय इतिहास, संस्कृति और ज्ञान परंपरा को सही स्वरूप में विद्यार्थियों तक पहुंचाएं, गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर राष्ट्र को विकसित भारत बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने “शिक्षा की भारतीय अवधारणा” विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारतीय गुरुकुल परंपरा में शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि व्यक्ति का समग्र एवं चारित्रिक विकास है। उन्होंने कहा कि विद्यालय सामाजिक परिवर्तन का केंद्र है और शिक्षक उसकी धुरी हैं। “आओ, हम सब मिलकर भारत मां को पुनः विश्वगुरु के सिंहासन पर प्रतिष्ठित करें,” उन्होंने आह्वान किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायणलाल गुप्ता ने संगठन की यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एआरबीएसएम विश्व का सबसे बड़ा शिक्षकों का संगठन है, जो “शिक्षक राष्ट्र के लिए इस मूल विचारधारा पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि महासंघ न केवल शिक्षकों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास और विकसित भारत के निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
समापन सत्र में जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर, अखिल भारतीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, कार्यक्रम संयोजक रमेशचंद्र पुष्करणा, महामंत्री डॉ. गीता भट्ट, उच्च शिक्षा प्रदेश अध्यक्ष मनोज बहरवाल सहित देश के 28 राज्यों से आए शिक्षकों एवं कार्यकर्ताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री डॉ. गीता भट्ट ने किया।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
