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निर्वासित तिब्बती संसद के लिए होगा चौथा आम चुनाव, 2011 में पहली बार हुआ था लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव

धर्मशाला, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । निर्वासित तिब्बती संसद के लिए अगले साल चौथा आम चुनाव होने जा रहा है। वर्ष 2011 में पहली बार तिब्बती संसद के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आम चुनाव हुए थे। पहली बार हुए आम चुनावों में डॉ लोबसांग सांग्ये सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री चुने गए थे। इसके बाद अगला चुनाव पांच साल बाद 2016 में हुआ तथा इस बार भी डॉ लोबसांग सांग्ये लगातार दूसरी बार सिक्योंग चुने गए। वहीं तीसरा आम चुनाव वर्ष 2021 में हुआ जिसमें पेंपा सेरिंग प्रधानमंत्री चुने गए।

गौरतलब है कि वर्ष 2011 से पूर्व तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के पास ही सारी शक्तियां थी जिन्हें उन्होंने त्याग कर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने की पैरवी की थी। इसके बाद से भारत सहित विभिन्न देशों में रह रहे तिब्बती समुदाय ने निर्वासित तिब्बत संसद के लिए अपने सांसदों और सिक्योंग का चुनाव किया था।

पेंपा सेरिंग को निर्वासित तिब्बत सरकार का प्रधानमंत्री (सिक्योंग) चुना गया। उनसे पहले डॉ. लोबसांग सांग्ये और डॉ. सामदोंग रिंपोछे भी सिक्योंग रह चुके हैं।

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की सर्वोच्च विधायी संस्था, तिब्बती संसद-इन-एग्ज़ाइल एक एक सदनीय निकाय है जो तिब्बती लोकतंत्र की आधारशिला मानी जाती है। इसकी स्थापना धर्मशाला में हुई थी और इसे बनाने का श्रेय तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को जाता है, जिन्होंने तिब्बती प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रणाली को लागू करने के लिए यह बड़ा कदम उठाया।

तिब्बती संसद में हैं कुल 45 सदस्य

वर्तमान में तिब्बती संसद में कुल 45 निर्वाचित सदस्य होते हैं। 10-10 सदस्य तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों उसांग, खाम और अमदो से चुने जाते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के चार संप्रदायों और पारंपरिक बॉन पंथ से 2-2 सदस्य चुने जाते हैं। इसके अलावा प्रवासी तिब्बतियों में से 5 सदस्य चुने जाते हैं, इनमें 2 यूरोप से, 2 उत्तरी और दक्षिण अमेरिका और 1 ऑस्ट्रेलिया से रहते हैं। संसद का नेतृत्व स्पीकर (सभापति) और डिप्टी स्पीकर (उपसभापति) करते हैं, जिन्हें सदस्य स्वयं के बीच से चुनते हैं।

(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया

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