

मुंबई,7 अक्टूबर ( हि.स.) । प्रकृति के साथ जुड़ाव को मज़बूत करने और वन्यजीवों के प्रति प्रेम, जागरूकता और ज़िम्मेदारी पैदा करने के उद्देश्य से ठाणे में येउर वन क्षेत्र में वन्यजीव सप्ताह का आयोजन किया गया। इस पहल के माध्यम से, छात्रों से लेकर स्थानीय नागरिकों तक, सभी को प्रकृति हमारी है और हम प्रकृति के हैं का संदेश दिया गया।
यह सप्ताह संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, बोरीवली के अंतर्गत येउर वन क्षेत्र में उप निदेशक प्रदीप पाटिल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इसमें प्रकृति के साथ जुड़ाव को मज़बूत करने और वन्यजीवों के प्रति प्रेम, जागरूकता और ज़िम्मेदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ शामिल की गईं।
1 अक्टूबर से शुरू हुए वन्यजीव सप्ताह के दौरान, येउर क्षेत्र के स्कूलों में प्रकृति प्रेमी छात्रों के लिए चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अपनी कल्पना के कैनवास पर बाघों, हिरणों, पक्षियों और पेड़ों की खूबसूरत दुनिया को उकेरा। उनके चित्रों ने प्रकृति के साथ उनके गहरे जुड़ाव को साफ़ तौर पर दर्शाया। किसी ने जंगल की शांत सुंदरता दिखाई, तो किसी ने रंगों के माध्यम से ‘वन्यजीवों की रक्षा ही मानवता की रक्षा है’ का संदेश दिया।
छात्रों के लिए एक प्रकृति भ्रमण का आयोजन किया गया। इस भ्रमण में बच्चों ने जंगल के जीवन का प्रत्यक्ष अनुभव किया। पत्तों की सरसराहट, पक्षियों की चहचहाहट, हवा का झोंका और गीली मिट्टी से उठती सुगंध! इस भ्रमण ने बच्चों के मन में प्रकृति हमारी है और हम प्रकृति के हैं की भावना को और मज़बूत किया। वन परिक्षेत्र अधिकारी मयूर सुरवसे ने बताया।
इस गतिविधि के दौरान, छात्रों को वन्यजीवों पर एक वृत्तचित्र दिखाया गया, जिसमें विभिन्न प्रजातियों, उनकी आदतों, पर्यावरण में उनके स्थान और मनुष्यों द्वारा उन्हें पहुँचाए गए नुकसान के बारे में जानकारी दी गई। बच्चों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे और हम क्या कर सकते हैं? की भावना के साथ, कई बच्चों ने वृक्षारोपण, प्लास्टिक मुक्त जीवन और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया। इन सभी कार्यक्रमों में वन परिक्षेत्र अधिकारी, येउर के साथ-साथ सभी वनपाल, वन रक्षक, वन श्रमिक और प्रकृति शिक्षा एवं विस्तार अधिकारी शुभम हडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वन क्षेत्र अधिकारी येउर के मयूर सरवसे ने बताया कि यह अभियान केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि येउर वन क्षेत्र के पाड़ों में भी चलाया गया। स्थानीय नागरिकों को वन्यजीव संरक्षण के सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व के बारे में समझाया गया। प्रत्यक्ष संवाद के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि, हर घर, हर व्यक्ति को प्रकृति का रक्षक बनना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
