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वरिष्ठजन का सम्मान ही विकसित भारत का आधार: केन्द्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार

वृद्धजनों के सम्मान में जबलपुर में हुआ राष्ट्रीय स्तर का आयोजन

– वृद्धजनों के सम्मान में जबलपुर में हुआ राष्ट्रीय स्तर का आयोजन

जबलपुर, 06 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा राज्य शासन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को जबलपुर में राष्ट्रीय स्तर का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने वृद्धजनों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुये वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान को राष्ट्र के विकास का मूल मंत्र बताया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ जन परिवार और समाज की धरोहर हैं, उनके ज्ञान और अनुभव का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

उन्होंने वर्तमान समय में पारिवारिक मूल्यों के क्षरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव और संयुक्त परिवारों के टूटने के कारण आज वृद्धाश्रमों की आवश्यकता पड़ रही है, जबकि भारतीय संस्कृति में इसके लिए कोई स्थान नहीं था। केंद्रीय मंत्री डॉ. कुमार ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि वे अपने बड़ों के साथ समय बिताएं और उनकी देखभाल करें। क्योंकि, आज हम जो करेंगे कल हमारी आने वाली पीढ़ी वही हमारे साथ करेगी।

उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ के माध्यम से लाखों वरिष्ठ नागरिकों को जीवन सहायक उपकरण प्रदान किए गए हैं। साथ ही, 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को ‘आयुष्मान भारत योजना’ के दायरे में लाकर प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक उनके मुफ्त इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी पर निर्भर न रहें।

डॉ वीरेंद्र कुमार ने इस अवसर पर संस्कारधानी जबलपुर को रानी दुर्गावती की शौर्य भूमि बताया। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को अपने परिवार एवं समाज के वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करने, उनकी देखभाल करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने की सामूहिक शपथ दिलाई।

जबलपुर के राइट टाउन स्थित मानस भवन में समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान, संवेदनशीलता तथा उनके योगदान के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से आयोजित किए गए इस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकी, विधायक डॉ अभिलाष पांडे, कलेक्टर राघवेंद्र सिंह, केन्द्रीय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सयुंक्त सचिव मोनीली पी धकाते, प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन, नगर अध्यक्ष रत्नेश सोनकर, पूर्व निःशक्तजन आयुक्त संदीप रजक सहित जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने कार्यक्रम स्थल पर लगाये गये स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला में विवेचना रंगमंच द्वारा “जैसी करनी वैसी भरनी” नामक नाटक का मंचन किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम में बच्चों और बुजुर्गों ने एक साथ नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी। बच्चों और बुजुर्गों की पत्र लेखन, स्लोगन, निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों की कैटवॉक का आयोजन भी हुआ, जिसने कार्यक्रम में ऊर्जा और उत्साह का नया रंग भर दिया। वहीं, दिल्ली के अस्मिता थिएटर ग्रुप ने “बुढ़ापा” शीर्षक नाट्य प्रस्तुति दी, जिसका निर्देशन अरविंद गौड़ ने किया था। इस नाटक में 30 कलाकारों के समूह ने भाग लिया और वृद्धावस्था की वास्तविकताओं को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया। स्कूली विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत उत्तराखंड के चेतवारी नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नृत्य ने दर्शकों को लोक परंपरा, संगीत और सामूहिकता की भावना से भर दिया। इस अवसर पर बच्चों और बुजुर्गों ने एक साथ राईट टाऊन स्टेडियन में आयोजित वॉकथॉन में भी सहभागिता की। स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन करने कार्यक्रम स्थल पर स्टॉल भी लगाये गये । केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार, प्रदेश सरकार में मंत्री राकेश सिंह एवं नारायन सिंह कुशवाह ने वृद्धजनों का सम्मान भी इस कार्यक्रम में किया।

बुजुर्गों का अनुभव, संस्कृति और ज्ञान का जीवंत स्रोतः कुशवाह

मप्र के सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नारायन सिंह कुशवाह ने कहा कि ऐसे आयोजन समाज में पीढ़ियों के बीच जुड़ाव और संस्कृति को सहेजने का माध्यम बनते हैं। समाज में बुजुर्गों का स्थान पूजनीय है, वे हमारे अनुभव, संस्कृति और ज्ञान के जीवंत स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि हमें बुजुर्गों के अनुभवों से सीख लेकर समाज में नई पीढ़ी को सही दिशा देनी चाहिए। भारत सरकार लगातार वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए योजनाएं चला रही है, ताकि उन्हें सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन मिल सके।

कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य सुमित्रा बाल्मीकि ने कहा कि वो पीढ़ी बहुत भाग्यशाली है जो अपने बड़ों के साथ रहती हैं, क्योंकि उनके अनुभव अनमोल होते हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग हमारे बरगद की जड़ों की तरह हैं जो स्थिरता और संस्कार देते हैं। हमें ‘मैं और मेरे बच्चे’ की जगह ‘हम और हमारा परिवार’ की सोच अपनानी चाहिए। जब ‘मैं’ की जगह ‘हम’ आता है, तो परिवार अपने आप खुशहाल हो जाता है।

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(Udaipur Kiran) तोमर

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