
बीकानेर, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । डागा मोहल्ला स्थित श्री नवकर्ण भैरव धाम में भैरव जी का वार्षिक पाटोत्सव महोत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातः मंदिर परिसर में शुद्धिकरण पूजन एवं वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा भैरव पाठ के साथ पूजा-अर्चना का शुभारंभ हुआ। महन्त गिरधर बिस्सा के सानिध्य में भैरव जी का गंगाजल, केशर, दूध, दही व शहद मिश्रित पंचामृत से अभिषेक किया गया। तत्पश्चात भैरव जी का विशेष श्रृंगार कर अलौकिक स्वरूप में सजाया गया। सायंकालीन बेला में संपन्न महाआरती के दौरान सम्पूर्ण मंदिर परिसर “जय भैरव देव” के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
कार्यक्रम में हरिशंकर व्यास, श्रीनारायण आचार्य, विनोद पुरोहित, चंचल व्यास, सोमदत्त पुरोहित, विष्णु व्यास, सुरेन्द्र पुरोहित, संदीप गग्गड़, सुरेन्द्र डागा सहित अनेक भक्तजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। भैरव उपासकों ने इस अवसर पर बताया कि 52 भैरव स्वरूपों में से 37वां स्वरूप “नवकर्ण भैरव” का है, और भारत में यह स्वरूप यहीं बीकानेर में स्थित है। नवकर्ण भैरव जी के चार भुजाएँ हैं — जिनमें डोरी, फरसा, चक्र और गदा धारण किए हुए हैं। उनका मुख गोल, नेत्र विशाल, कान बड़े हैं तथा कानों और हृदय पर ‘ॐ’ अंकित है। उनके पादों में घुँघरू और जूती सुशोभित है, तथा समीप में काले वर्ण का स्वान विद्यमान है। मान्यता है कि नवकर्ण भैरव जी को केशर मिश्रित गुलाबजल से स्नान और केशर युक्त मिठाई का भोग अति प्रिय है। जो भक्त इस श्रद्धा से अभिषेक करता है, उसके समस्त कष्ट स्वतः दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्त यदि भैरव जी के कान में अपनी मनोकामना निवेदित करे, तो मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
