Haryana

ग्राम पंचायतों में खोली जा रही है खेल नर्सरियां, निजी स्कूलों की अनदेखी

प्राइवेट स्कूल संघ ने मुख्यमंत्री व खेलमंत्री से की हस्तक्षेप की मांग

चंडीगढ़, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राज्य सरकार की ओर से खेल सुविधाएं बढ़ाने और खिलाड़ियाें को तराशने के लिए खेल नर्सरियां खोलने का दावा किया जा रहा है। मगर निजी स्कूलों में खेल नर्सरियां खोलने को लेकर अनदेखी की जा रही है। खेल नर्सरी नहीं मिलने से उनमें अभ्यास कर रहे खिलाड़ियाें की पदक जीतने की उम्मीद टूट रही है और उनमें मायूसी छा रही है। निजी स्कूलों में खेल नर्सरियां खोलने की मांग को लेकर प्राइवेट स्कूल संघ की ओर से मुख्यमंत्री नायब सैनी और खेल राज्यमंत्री गौरव गौतम को पत्र लिखा है।

प्रदेशभर में इस समय 1,489 खेल नर्सरियां कार्यरत हैं। इनमें 37 हजार 225 खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने बताया कि खेल विभाग की तरफ से मार्च महीने में खेल नर्सरी के लिए आवेदन मांगे गए और प्रदेश में हजारों निजी, सरकारी व पंचायतों ने खेल नर्सरी लेने के लिए आवेदन किए थे जिसके आधार पर जिला स्तर पर खेल नर्सरियो की जांच की गई जिसमें योग्य पाई गई नर्सरियों की सूची खेल विभाग के हेड ऑफिस पंचकूला में डायरेक्टर के पास भेज दी गई उसके बाद सरकारी व पंचायतों को तो 868 खेल नर्सरी दे दी गई लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी निजी स्कूलों को एक भी खेल नर्सरी नहीं दी गई है। प्राइवेट स्कूल संघ ने मुख्यमंत्री व खेलमंत्री से जल्द निजी खेल नर्सरी देने की मांग की है ताकि खिलाड़ियाें का हौसला बढ़ सके और आने वाले समय में ये खिलाड़ी ज्यादा से ज्यादा देश एवं प्रदेश के लिए मेडल जा सकें।

सत्यवान कुंडू का कहना है कि इस बार सरकार ने 2000 खेल नर्सरी देने का वायदा किया था जो कि प्राइवेट स्कूलों के खिलाडिय़ों के साथ सरासर भेदभाव है। ऐसे में 25 हजार खिलाड़ियाें में मायूसी छाई हुई है। प्रत्येक खेल नर्सरी में 25 खिलाड़ी शामिल होते हैं। खेल विभाग 8 से 14 वर्ष के बच्चे को 1500 रुपए महीना तथा 15 से 19 वर्ष के बच्चे को 2000 रुपए महीना डाइट मनी देता है जो कि अब निजी स्कूलों को खेल नर्सरी न मिलने के कारण उनमें अभ्यास कर रहे खिलाड़ियाें को डाइट मनी नहीं मिल पाएगी।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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