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सैमीडिकोट ने दी सामूहिक इस्तीफे और आंदोलन की चेतावनी, सरकार के फैसले से जताई नाराजगी

शिमला, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । शिमला राज्य मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज शिक्षक संघ (सैमीडिकोट) ने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए कुछ निर्णयों पर नाराजगी जताई है। संघ ने इन फैसलों को संकाय हितों, शैक्षणिक उत्कृष्टता और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हानिकारक बताया है। सैमीडिकोट ने सरकार से चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि यदि उनकी मांगों पर तुरंत विचार नहीं किया गया तो उन्हें मजबूरन प्रशासनिक पदों से सामूहिक इस्तीफे देने, कानूनी कदम उठाने और सार्वजनिक प्रदर्शन करने जैसे कठोर कदम उठाने पड़ेंगे।

सैमीडिकोट के अध्यक्ष डॉ. बलवीर वर्मा और महासचिव डॉ. पीयूष कपिला ने कहा है कि उनकी मुख्य आपत्तियां सरकार द्वारा एन.पी.ए. (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) खत्म करने, भर्ती प्रक्रिया में भेदभाव और कमला नेहरू अस्पताल (के.एन.एच.) के स्त्री रोग विभाग को आई.जी.एम.सी. में स्थानांतरित करने के फैसले को लेकर हैं। उनका कहना है कि सरकार ने लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षकों का एन.पी.ए. बंद कर दिया है, जबकि विभागीय पदोन्नति से नियुक्त शिक्षकों को यह भत्ता जारी रखा गया है। इससे संकाय में असमानता और निराशा फैल रही है तथा मेधावी चिकित्सक राज्य छोड़कर एम्स, पीजीआई और निजी मेडिकल कॉलेजों का रुख कर रहे हैं।

संघ ने सरकार द्वारा 36 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति को भी शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि यह योग्य और प्रशिक्षित डॉक्टरों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है और इससे युवा चिकित्सक राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से दूरी बना लेंगे।

सैमीडिकोट ने के.एन.एच. के स्त्री रोग विभाग को आई.जी.एम.सी. में स्थानांतरित करने की योजना को चिकित्सकीय रूप से गलत और अव्यवहारिक बताया। उनका कहना है कि के.एन.एच. पहले से ही 275 बिस्तरों वाला एक विकसित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र है, जिसे और सशक्त बनाया जाना चाहिए न कि कमजोर।

संघ ने मेडिकल कॉलेजों में प्रिंसिपल स्तर पर की जा रही नियुक्तियों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए कुछ अधिकारियों को मनमाने ढंग से सेवा विस्तार दिया गया है, जबकि सरकार ने पहले आश्वासन दिया था कि ऐसे लोगों को प्रशासनिक अधिकार नहीं दिए जाएंगे।

सैमीडिकोट ने सरकार से मांग की है कि सभी संकाय सदस्यों के लिए एन.पी.ए. तुरंत बहाल किया जाए, के.एन.एच. के स्त्री रोग विभाग को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को रद्द किया जाए और वरिष्ठता के आधार पर पारदर्शी पदोन्नति प्रक्रिया लागू की जाए। संघ ने स्पष्ट कहा है कि यदि सरकार ने शीघ्र कदम नहीं उठाए तो वे सामूहिक विरोध का रास्ता अपनाने को बाध्य होंगे।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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