
मंडी, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल किसान सभा ने निर्माणाधीन राष्ट्रीय उच्च मार्ग बरसात समाप्त होने के बाद भी शुरू न होने पर चिंता व्यक्त की है। जिसके चलते कंपनी और मौर्थ के खिलाफ पुनः अभियान शुरू करने जा रही है, जिसके लिए 13 अक्टूबर को शिमला में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह, किसान सभा के दिनेश काकु, रणताज़ राणा,पूर्ण चंद पराशर इत्यादि ने कही। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक ने आठ से सोलह सितंबर तक अवाहदेवी चौक पर इस बारे में कथित अनशन किया था और उम्मीद जताई जा रही थी कि अब उसमें कुछ सुधार होगा लेक़िन अभी तक ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा है।उल्टा कुछ स्थानीय ठेकेदारों ने उनकी पेमेंट जारी न होने के कारण बीआरन कंपनी कार्यालय लौंगनी पर ताला जड़ दिया जिसकी बजह कंपनी से इन्हें छह करोड़ रुपए से ज़्यादा की पेमेंट न करना बताया है।दिलचस्प बात ये है कि इनमें ज्यादातर ठेकेदार विधायक के ही हैं जिन्हें उन्होंने ने ही कंपनी से काम दिलवाया है। हालांकि, उन्होंने अवाहदेवी अनशन के दौरान ये बात मीडिया में नकार दी थी लेकिन इसके साक्ष्य सबके बीच में हैं कि ये ठेकेदार उन्हीं के हैं।लेक़िन आम आदमी के लिए परेशानी ये है कि सड़क निर्माण कार्य दोनों निर्माण कम्पनियों ने अभी तक भी शुरू नहीं किया है।लेक़िन एक बात तो साबित हो गई कि अनशन और अब कंपनी ऑफिस पर ताला लगाना सभी लेनदेन सबंधी ही था न कि निर्माण कार्य मे सुधार करने का।दो दिन पहले लौंगनी स्थित कंपनी कार्यालय पर ताला जड़ने वाले ज़्यादातर ठेकेदार स्थानीय विधायक हैं जो हर रोज उनके साथ घूमते हुए देखे जा सकते हैं और उन्ही के कहने पर कंपनी ने उन्हें ठेके दिए हैं।लेक़िन आम जनमानस को सबसे बड़ी समस्या इस राजमार्ग के निर्माण कार्य के दोबारा शुरू न होने की है कियूंकि बरसात में जो नुक़सान कम्पनियों को हुआ है उसकी भरपाई तो उन्होंने केंद्र सरकार से कर ली और लगभग 50 करोड़ रुपए इसके लिए ले लिए हैं और जो देनदारी ठेकेदारों की है वो भी उन्होंने डकार ली है। लेकिन जो नुक्सान आम जनता का हुआ है उसके लिए कोई सहायता जारी नहीं कि गयी है और अभी तक भी सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।इसलिए विधायक का अनशन करना और फ़िर बिना कोई मांग हासिल किए वहां से उठ जाना किसी की समझ में नहीं आ रहा है।भूपेंद्र सिंह ने ज़िला व स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि वे बरसात ख़त्म होने के बाद अब निर्माण कार्य जल्दी शुरू करे।उन्होंने बताया कि हिमाचल किसान सभा व सात अन्यों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला में याचिका दायर कर दी है जिसकी सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित हुई है।वहीं दूसरी तरफ अब किसान सभा कंपनी और मौर्थ विभाग के खिलाफ आंदोलन शुरू करने जा रही है जिसके लिए 13 अक्टूबर को शिमला में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी।भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि पाड़छु से कुमाहरडा तक 25 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य बीआरएन कर रही है और इसमें ज्यादातर काम विधायक से जुड़े ठेकेदारों को दिए गए हैं जिस कारण काम में कोताही बरती गई और उस पर वे लंबे अरसे से चुप्पी साधे हुए हैं और अब भी जो अनशन के दौरान मांगे रखी गई वे सूर्या और गावर कंपनी और मौर्थ विभाग के बारे में ही कही गयी जबकि बीआरएन कंपनी के बारे में में वे चुप रहे।इससे साफ़ है कि निर्माण कंपनियों ने जहां एक ओर पूरे प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के किसी न किसी रूप में मुहँ बन्द करवा दिए हैं और वे जनता को हो रही समस्याओं को हल करवाने और समय पर सड़क निर्माण कार्य पूरा करने के लिए वे कंपनियों के आगे असहाय नज़र आ रहे हैं और विधायक के अनशन भी मात्र अपनी कमियां छुपाने और गिरती साख की क्षतिपूर्ति करने की ही कसरत थी।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
